12.हार-जीत कविता अतिलघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न pdf free

 


हार-जीत chapter-12 Subjective questions and answers Bihar board 


लेखक परिचय (introduction)


लेखक अशोक वाजपेयी 

जन्म तिथि- 16 जनवरी 1941

मूल निवास- सागर, मध्य प्रदेश

जन्म स्थान - दुर्ग, छत्तीसगढ़

पिता- परमानंद वाजपेयी

माता - निर्मला देवी

शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा गवर्नमेंट हायर सेकेंड्री स्कूल, सागरः सागर विश्वविद्यालय से बी०ए० और सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से अंग्रेजी में एम०ए०

वृत्ति - भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, कई महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वाह, महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति पद से सेवानिवृत्त हुए ।


• दिल्ली में रहकर स्वतंत्र लेखन मे वो सक्रिय है।


कविता संग्रह - शहर अब भी संभावना है, एक पतंग अनंत में, अगर इतने से, तत्पुरुष, कहीं नहीं वहीं, बहुरि अकेला, थोड़ी-सी जगह, घास में दुबका आकाश, आविन्यो, जो नहीं है, अभी कुछ और, समय के पास समय, कहीं कोई दरवाजा, दुःख चिट्ठीरसा है, विवक्षा, कुछ रफू कुछ थिगड़े, इस नक्षत्रहीन समय में, कम से कम, हार- जीत, इबारत से गिरी मात्राएँ, उम्मीद का दूसरा नाम ।


आलोचना- फिलहाल, कुछ पूर्वग्रह, समय से बाहर, सीढ़ियाँ शुरू हो गई है। कविता का गल्प, कवि कह गया है।


संपादित कृतियाँ- तीसरा साक्ष्य, साहित्य विनोद, कला विनोद, पुनर्वसु, कविता का जनपद


स्तंभ लेखन- 'कभी कभार


• 'कही नहीं वहीं' काव्य संग्रह के लिए अशोक वाजपेयी जी को 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया । 

सम्मान - साहित्य अकादमी पुरस्कार, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, फ्रेंच सरकार का ऑफिसर आव द आर्डर आव आर्ट्स एंड लैटर्स 2005, पोलिश सरकार का ऑफिसर आव द आर्डर आव क्रास 2004


• यह कविता अशोक वाजपेयी के कविता संकलन 'कही नहीं वही' से ली गई है

• गद्य कविता का लेखन पिछले 15-20 वर्षों से शुरु हुआ है।





हार-जीत


उत्सव मना रहे है। सारे शहर मे रोशनी की जा रही है। उन्हे बताया गया है कि उनकी सेना और रथ विजय वे प्राप्त कर लौट रहे है। नागरिको मे से ज्यादातर को पता नही है कि किस युद्ध में उनकी सेना और शासक गए थे, युद्ध किस बात पर था। यह भी नहीं कि शत्रु कौन था पर वे विजय पर्व मनाने की तैयारी में व्यस्त है। उन्हे सिर्फ इतना पता है कि उनकी विजय हुई। उनकी से आशय क्या है यह भी स्पष्ट नही है: किसकी विजय हुई सेना की,


कि शासक की, कि नागरिको की? किसी के पास पूछने का अवकाश नहीं है। नागरिको को नहीं पता कि कितने सैनिक गए थे और कितने विजयी वापस आ रहे है। खेत रहने वालो की सूची अप्रकाशित है। सिर्फ एक बूढा मशकवाला है जो सड़कों को सींचते हुए कह रहा है कि हम एक बार फिर हार गए है और गाजे-बाजे के साथ जीत नही हार लौट रही है। उस पर कोई ध्यान नही देता है और अच्छा यह है कि उस पर सड़कें सींचने भर की जिम्मेवारी है, सच को दर्ज करने या बोलने की नहीं। जिन पर है वे सेना के साथ ही जीतकर लौट रहे है। 


हार-जीत प्रश्न उत्तर बिहार बोर्ड 


1. उत्सव कौन और क्यो मना रहे है ? 


उत्तर- उत्सव शहर मे रहने वाले सामान्य नागरिक मना रहे है। उनके उत्सव मनाने का कारण निम्नलिखित है -


(क) उनको यह पता है कि उनकी सेना ने विजय प्राप्त कर ली है और वह युद्ध क्षेत्र से वापस आ रही है।


(ख) उनलोगो को सच बात तो बिल्कुल ही पता नहीं है। 

(ग) इस युद्ध में मारे गए लोगो के विषय मे उन्हे कुछ भी पता नहीं है 


2. नागरिक क्यो व्यस्त है? क्या उनकी व्यस्तता जायज है?


उत्तर- नागरिक इसलिए व्यस्त है क्योकि उन्हे विजयी सेना तथा शासक के स्वागत की तैयारी करना है। वे सब खुशी मे झूम रहे है। उनकी व्यस्तता जायज नहीं है क्योकि उन्हे तो वास्तविक स्थिति का ज्ञान ही नही है। उन्हें नहीं पता है कि वास्तव में उनकी जीत नही बल्कि हार हुई है।


3. किसकी विजय हुई सेना की, कि नागरिको की?' कवि ने यह प्रश्न क्यो खड़ा किया गया है? यह विजय किनकी है? आप क्या सोचते है? बताए ।


उत्तर- कवि ने ऐसा प्रश्न इसलिए खड़ा किया है क्योकि इस युद्ध में किसी देश की सेना ने शत्रुओं को भले ही जीत लिया हो पर घृणा, हत्या, दंगे, लूटमार आदि पर जीत नही हुई है। जब तक इनपर विजय न प्राप्त हो तब तक इसे जीत कैसे कह सकते है ?


हाँ, इस जीत को सेना की जीत कह सकते है लेकिन नागरिको की नही क्योकि जीत के बाद भी उनकी दशा ज्यों की त्यों ही रहने वाली है। हमारा मानना है कि हिंसा या मारकाट का मार्ग अपनाकर सच्ची विजय नहीं पाई जा सकती है।


4. खेत रहनेवालो की सूची अप्रकाशित है।' इस पंक्ति के द्वारा कवि ने क्या कहना चाहा है? कविता मे इस पंक्ति की क्या सार्थकता है ?


उत्तर- इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह बताना चाहते है कि युद्ध में दोनो पक्षों के अनेक वीर मारे जाते है लेकिन विजय के धुन (मद) में चूर सेना इन वीरो या लोगो की परवाह नहीं करती। उसको ये नही मालुम कि इस विजय के पिछे कही न कही उन वीरो का भी हाथ था। लेकिन यह स्वार्थी शासक जनता के जीवन का मोल ही नही समझता है।  इस पंक्ति की कविता मे यह सार्थकता है कि विजय की खुशी मे चूर लोगो को मरे हुए लोगो तथा सैनिको का जरा भी ध्यान नही है। उनके परिवार वालो पर क्या बीतती है, उन्हे इन सब से कोई मतलब नहीं है। 


5. सड़कों को क्यों सींचा जा रहा है ?


उत्तर- सडकों को इसलिए सींचा जा रहा है ताकि युद्ध से आ रहे विजयी राजा और शासको पर धूल न उड़े। वो बिल्कुल पहले की तरह ही नजर आये।


 6. बूढा मशकवाला क्या कहता है और क्यों कहता है ?


उत्तर- बूढा मशक वाला कहता है कि एक बार फिर हमारी हार हुई है। गाजे बाजे के साथ हमारी विजय नहीं बल्कि हार लौट रही है। ऐसी विजय पर खुश होकर जश्न मनाने का कोई मतलब ही नही है। वह इसलिए ऐसा कहता है क्योकि वह अनुभवी व्यक्ति है। उसे अच्छी तरह पता है कि समाज मे घृणा, द्वेष, हत्या, लूटपाट, दंगे आदि मानवता के विनाश के कारण है। इस पर विजय पाना ही असली जीत है। युद्ध मे कुछ लोग मारे गए है लेकिन शासको द्वारा इस बात पर पर्दा डाला जा रहा है। बूढा की बात में सच्चाई है पर उसकी कोई सूनना नही चाहता ।


7. बूढा मशकवाला किस जिम्मेवारी से मुक्त है? सोचिए अगर वह जिम्मेवारी उसे मिलती तो क्या होता ?


उत्तर- बूढा मशकवाला सच्ची बात को बताने की जिम्मेवारी से मुक्त है। उसे सच कहने की जिम्मेवारी नही है। अगर वह जिम्मेवारी उसे मिल जाती तो वो सच्ची बातो को लोगो के बिच प्रकाशित कर देता और लोगो को इस झूठे और स्वार्थी शासन व्यवस्था के बारे में बताता। लोगो के बीच फैली घृणा और द्वेष को दूर करने का प्रयास करता। एक बात यह भी है कि ऐसे में वो बुढा शासक के लिए खतरा बन जाता । 


8. 'जिन पर है वे सेना के साथ ही जीतकर लौट रहे है।' 'जिन' किनके लिए आया है? वे सेना के साथ कहाँ से आ रहे है, वे सेना के साथ क्यो थे, वे क्या जीतकर लौटे है? बताएँ। 


उत्तर- 'जिन' शब्द शासक वर्ग तथा उन लोगो के लिए आया है जो उसके साथ रहकर उसका ही गुणगान करते है। लेकिन यह गुणगान सत्य ही है, ये जरूरी नही था। वे सेना के साथ युद्धभूमि से आ रहे है। वे सेना के साथ इसलिए थे जिससे वे युद्धभूमि मे मिली जय-पराजय के बारे मे लोगो को बता सके। वे युद्ध जीतकर लौटे है। 


9. गद्य कविता क्या है? इसकी क्या विशेषताएँ है? इस कविता को देखते - परखते हुए बताएँ । 


उत्तर- जो कविता परंपरागत कविताओ की तरह न होकर या छंदो से मुक्त होकर गद्यात्मक रूप मे लिखी जाती है, उसे गद्य कविता कहते है । यह पिछले पंद्रह से बीस वर्षों से लिखी जा रही है। इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित है 

a.यह छंद से मुक्त होती है।

b. इसमे संगीतात्मकता तथा गेयता का अभाव होता है।

c. यह शासक वर्ग, युद्ध, इतिहास, राजनीति और आम आदमी को लेकर आज के परिवेश मे अनेक प्रश्न उठाती है।

d. यह वास्तविकता को सभी के सामने लाती है। 

e. इसकी भाषा आम बोलचाल की भाषा होती है।


10. कविता में किस प्रश्न को उठाया गया है ? है? आपकी समझ में इसके भीतर से कौन से प्रश्न उठते है ?


उत्तर- समाज की वास्तविक स्थिति अर्थात सच्चाई को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है, यही प्रश्न कविता मे उठाया गया है।

हमारे विचार से इसमे समाज में फैली अशिक्षा, घृणा, आतंकवाद और दंगे संबंधी प्रश्न भी उठते है। इसके अलावा सत्य की आवाज को कमजोर बनाने तथा असत्य पर जोर देने के प्रश्न भी उठते है।


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