अधिनायक अध्याय -10 महत्वपूर्ण क्वेश्चन आंसर

 




अध्याय -10 अधिनायक 

लेखक परिचय

लेखक - रघुवीर सहाय  

जन्म - 9 दिसंबर 1929  

मृत्यु - 30 दिसंबर 1990  

जन्म स्थान - लखनऊ, उत्तर प्रदेश  

पिता - हरदेव सहाय (एक शिक्षक)  

शिक्षा - एम.ए. (अंग्रेजी), लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ  

संगीत सुनने और फिल्म देखने में उनकी विशेष रुचि थी।  

उन्होंने ‘कौमुदी’ कविता केंद्र की स्थापना की और उसका संचालन किया।  

रघुवीर सहाय पेशे से पत्रकार थे। उन्होंने पत्रकारिता का आरंभ 'नवजीवन' (लखनऊ) से किया।  


इसके बाद ‘समाचार विभाग’ आकाशवाणी, नई दिल्ली और फिर 'नवभारत टाइम्स' (नई दिल्ली) में विशेष संवाददाता के रूप में काम किया।  

उन्होंने 1979 से 1982 तक ‘दिनमान’ समाचार-साप्ताहिक के प्रधान संपादक के रूप में काम किया।  

रघुवीर सहाय अज्ञेय द्वारा संपादित ‘दूसरा सप्तक’ के माध्यम से कवि रूप में लोगों के सामने आए।  


रचनाएँ :- 


कविताएँ - 'सीढ़ियों पर धूप में', 'आत्महत्या के विरुद्ध', 'हँसो-हँसो जल्दी हँसो', 'लोग भूल गए हैं', 'कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ'  

कहानियाँ - 'रास्ता इधर से है', 'जो आदमी हम बना रहे हैं'  

निबंध - 'दिल्ली मेरा परिवेश', 'लिखने का कारण', 'ऊबे हुए सुखी', 'वे और नहीं होंगे जो मारे जाएँगे', 'यथार्थ यथास्थिति नहीं'  


सम्पूर्ण रचनावली छह खंडों में ‘राजकमल प्रकाशन’ नई दिल्ली से प्रकाशित।  

‘लोग भूल गए हैं’ कविता के लिए उन्हें 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।  


यह कविता 'अधिनायक' उनके संग्रह 'आत्महत्या के विरुद्ध' से ली गई है।  

रघुवीर सहाय बीसवीं शताब्दी के कवि-लेखक हैं।  


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रघुवीर सहाय अधिनायक पाठ कविता  


राष्ट्रगीत में भला कौन वह  

भारत-भाग्य विधाता है  


फटा सुथन्ना पहने जिसका  

गुण हरचरना गाता है।  


मखमल टमटम बल्लम तुरही  

नगाड़े छत्र विराठ के साथ  


तोड़ झंड से ढोल बजाकर  

जय-जय कौन कराता है।  


पूरब-पश्चिम से आते हैं  

नंगे-बूढ़े नर-कंकाल  


सिंहासन पर बैठा उनके  

तमगे कौन लगाता है।  


कौन कौन है वह जन-गण-मन  

अधिनायक वह महाबली  


डरा हुआ मन बेमन जिसका  

बाजा रोज बजाता है।  



 अधिनायक अध्याय-10 अतिलघु एवं दीर्घ प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1. हरचरना कौन है? उसकी क्या विशेषताएँ हैं ?  


उत्तर - हरचरना किसी विशेष आदमी का नाम नहीं है। वह गरीब, शोषित, पीड़ित मध्यमवर्गीय जनता का प्रतीक है, जिसे अपनी इच्छा के अनुसार नहीं बल्कि शासक वर्ग की इच्छानुसार काम करना पड़ता है।  

विशेषताएँ:  

(क) उसके शरीर पर फटे-पुराने कपड़े हैं।  

(ख) वह पीड़ित और शोषित है।  

(ग) वह शासक वर्ग की इच्छानुसार काम करता है।  


प्रश्न 2. हरचरना 'हरिहर' का तद्भव रूप है, कवि ने कविता में 'हरचरना' को रखा है, हरिहर को नहीं; क्यों?  


उत्तर - कवि ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि हरचरना सीधे-सादे, गरीब-शोषित आम लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। इस वर्ग के लोगों के नाम ऐसे ही होते हैं। वही ‘हरिहर’ नाम जो कि आम जनता का प्रतिनिधित्व का प्रतीक नहीं है।  


प्रश्न 3. अधिनायक कौन है? उसकी क्या विशेषताएँ हैं?  


उत्तर - अधिनायक शासक वर्ग का विशेष व्यक्ति है, जो अपनी इच्छा को कभी दबा नहीं सकता। वह मध्यमवर्गीय से अपनी इच्छा पूरी करवाता है।  

विशेषताएँ:  

(क) वह राजसी ठाट-बाट में रहता है।  

(ख) वह दूसरों पर अपनी इच्छा थोपता है।  

(ग) वह तानाशाह होता है।  

(घ) वह अपनी तानाशाही की प्रशंसा सुनना चाहता है।  

(ङ) वह समारोहों में विशेष अतिथि के रूप में आसन ग्रहण करता है।  


प्रश्न 4. 'जय-जय कराना' का क्या अर्थ है?  


उत्तर - 'जय-जय कराना' का अर्थ होता है दूसरों से अपनी प्रशंसा करवाना। अर्थात कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी प्रशंसा सुनने की बहुत लालसा रखते हैं और वो दूसरों से अपनी प्रशंसा जबरन करवाना चाहते हैं।  


प्रश्न 5. 'डरा हुआ मन बेमन जिसका बाजा रोज बजाता है', यहाँ 'बेमन' का क्या अर्थ है ?  


उत्तर - यहाँ 'बेमन' का अर्थ है 'दबाव में' अर्थात इच्छा के विरुद्ध। एक आम आदमी आज़ादी के बाद भी वही जीवन जी रहा है जैसा वह आज़ादी के पहले जीता था। यहाँ तक कि उसकी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। वह अपने सामने ठाट-बाट में बैठे सत्तावर्ग के लोगों का गुणगान करना नहीं चाहता परंतु उसे अपने मन के विरुद्ध करना ही पड़ता है।  


प्रश्न 6. हरचरना अधिनायक के गुण क्यों गाता है? उसके डर के क्या कारण हैं ?  


उत्तर - हरचरना अधिनायक के गुण इसलिए गाता है क्योंकि अधिनायक सत्तावर्ग का अत्यंत बलशाली व्यक्ति होता है। वह मध्यमवर्गीय जनता का अहित कर सकता है।  

डर के कारण:  

हरचरना अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति न होने के कारण एक तो पहले से ही कमजोर है। वह अधिनायक से आशा लगाए रहता है कि शायद उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाए। वैसे भी हरचरना जैसे आम आदमी को हर समय अपनी जान का भय बना रहता है।  


प्रश्न 7. 'बाजा बजाना' का क्या अर्थ है ?  


उत्तर - 'बाजा बजाना' का अर्थ है – गुणगान करना। अर्थात किसी व्यक्ति की प्रशंसा में चाटुकारपूर्ण बातें करना या प्रशंसा के गीत गाकर उसे खुश करने का प्रयास करना।  


प्रश्न 8. 'कौन कौन है वह जन-गण-मन-अधिनायक वह महाबली' – कवि यहाँ किसकी विशेषता कराना चाहता है?  


उत्तर - 'कौन कौन है वह जन-गण-मन-अधिनायक वह महाबली' के माध्यम से कवि सत्तावर्ग के अत्यंत बलशाली लोगों की विशेषता कराना चाहता है जो ताकतवर हैं। इनके आगे आम आदमी का कोई अस्तित्व नहीं है। आम आदमी और उनके बीच जमीन आसमान का अंतर है।  


प्रश्न 9. 'कौन-कौन' में पुनरुक्ति है, कवि ने यह प्रयोग क्यों किया है?  


उत्तर - हम जानते हैं कि आम आदमी का शोषण करने वाला व्यक्ति जो सत्तावर्ग का है, वो अकेला नहीं है। वो एक से अधिक लोग हैं जो कई तरह से आम आदमी का शोषण कर रहे हैं। कवि ने उन सभी लोगों के लिए यहाँ पुनरुक्ति किया है।  


प्रश्न 10. भारत के राष्ट्र गान 'जन-गण-मन-अधिनायक जय हे' से इस कविता का क्या संबंध है?  


उत्तर - भारत के राष्ट्र गान 'जन-गण-मन-अधिनायक जय हे' से इस कविता का यह संबंध है कि भारत के राष्ट्र गान में अधिनायक शब्द का प्रयोग देश को आज़ादी दिलाने वाले, देश को उन्नति के पथ पर ले जाने वाले, लोगों के कल्याण के लिए अपना सब कुछ समर्पित करने वाले महापुरुषों तथा राजनैतिक व्यक्तियों के लिए किया गया है। वहीं इस व्यंग्यात्मक कविता में 'अधिनायक' शब्द आज के नेताओं या सत्तावर्ग के प्रतिनिधियों के लिए प्रयुक्त किया गया है।  


प्रश्न 11. कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।  


उत्तर - कविता का भावार्थ यह है कि देश को आज़ादी मिले काफी समय बीत गया है, पर आम आदमी की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। उसकी जरूरतें भी पूरी नहीं हो रही हैं। आज के अधिनायक इतने स्वार्थी हो गए हैं कि वो अपनी जरूरत पूरी करने के लिए आम आदमी का शोषण कर रहे हैं। वे तानाशाह ही हैं। वे लोग अपनी प्रशंसा आम आदमी से जबरदस्ती करवा लेते हैं। आम आदमी भी विवश है, उन लोगों के आगे।  



प्रश्न 12. व्याख्या करे-


पूरब-पश्चिम में आते है नंगे बूचे नर-कंकाल


सिंहासन पर बैठा, उनके तमगे कौन लगाता है


उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति रघुवीर सहाय द्वारा रचित कविता 'अधिनायक' से लिया गया है। कवि के अनुसार राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर सभी दिशाओ से जो जनता आती है वह नंगे पाँव है। वह नर कंकाल के रूप में दिखाई दे रही है । इन गरीबो की कमाई भी सत्ता वाले लोग जो सिंहासन पर बैठे है, वो हड़प लेते है। गरीबो के पैसे से। ही वह मेडल, फूल की माला पहनता है। कवि यह प्रश्न करता है। कि आखिर किनके दबाव मे आकर इन लोगो को इस आसन पर बैठाकर इतना सम्मान दिया जाता है ? 


Note - : अधिनायक पाठ का पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें । 


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