9. जन-जन का चेहरा एक subjective questions answer PDF

 


9. जन-जन का चेहरा एक


लेखक- गजानन माधव मुक्तिबोध

जन्म - 13 नवम्बर 1917

निधन - 11 सितम्बर 1964

जन्मस्थान- श्योपुर, ग्वालियर, मध्य प्रदेश

निधनस्थान- भोपाल, उम्र- 46 वर्ष

पिता - माधवराज मुक्तिबोध

माता- पार्वती बाई


इनके पिता पुलिस विभाग के इंस्पेक्टर थे। अक्सर उनका तबादला होता रहता था। इसीलिए मुक्तिबोध की पढाई में बाधा पड़ती रहती थी।


शिक्षा- उज्जैन, विदिशा, अमझरा, सरदारपुर आदिस्थानों पर प्रारंभिक शिक्षा । 1930 मे उज्जैन के माधव कॉलेज से ग्वालियर बोर्ड की मिडील परीक्षा मे असफल । पुनः 1931 मे सफलता प्राप्त। 1935 मे माधव कॉलेज से इंटरमीडिएट । 1937 मे इंदौर के होल्कर कॉलेज से बी०ए० मे असफल। पुनः 1938 मे सफलता प्राप्त । 1953 नागपुर विश्वविद्यालय से हिंदी मे एम० ए० ।


➢ 20 वर्ष की छोटी उम्र मे बड़नगर मिडिल स्कूल से मास्टरी           आरंभ ।


अनेक स्थानो पर नौकरी करते हुये सन् 1948 मे नागपुर आये


नागपुर के प्रकाशन तथा सूचना विभाग मे पत्रकार के रूप मे अक्टूबर 1948 से सितंबर 1956 तक रहे ।


फिर नागपुर मे ही रेडियो के हिंदी प्रादेशिक सूचना विभाग मे अक्टूबर 1954 से अक्टूबर 1956 तक रहे ।


➢ 1956 मे ही नागपुर से निकलने वाले पत्र 'नया खून' का संपादन ।


➢ 1958 मे 'नया खुन' से मुक्त हो गये ।


➢ 1958 से दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगाँव मे प्राध्यापक


कृतियां


 ➢ चाँद का मुँह टेढ़ा है (कविता संग्रह), 1964, भारतीय ज्ञानपीठ.


➢ नई कविता का आत्मसंघर्ष तथा अन्य निबंध (निबंध संग्रह), 1964, विश्वभारती प्रकाशन.


 ➢ एक साहित्यिक की डायरी (निबंध संग्रह), 1964, भारतीय ज्ञानपीठ.


➢ काठ का सपना (कहानी संग्रह), 1967, भारतीय ज्ञानपीठ. 

➢ विपात्र (उपन्यास), 1970, भारतीय ज्ञानपीठ.


➢ नये साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, 1971, राधाकृष्ण प्रकाशन.


➢ सतह से उठता आदमी (कहानी संग्रह), 1971, भारतीय ज्ञानपीठ


➢ कामायनीः एक पुनर्विचार, 1973, साहित्य भारती.


- भूरी-भूरी खाक धूल (कविता संग्रह), 1980, नई दिल्ली, राजकमल प्रकाशन.


➢ मुक्तिबोध रचनावली, नेमिचंद्र जैन द्वारा संपादित, (6 खंड), 1980, राजकमल प्रकाशन.


➢ समीक्षा की समस्याएं, 1982, राजकमल प्रकाशन.








पाठ


चाहे जिस देश प्रांत पुर का हो, 

जन-जन का चेहरा एक !


एशिया की, युरोप की, 

अमरीका गलियों की धूप एक । 

 कष्ट-दुख संताप की, की 


चेहरो पर पड़ी हुई झुर्रियो का रूप एक ! 

जोश मे यो ताकत से बँधी हुई, 

मुट्ठियो का एक लक्ष्य ! 

पृथ्वी के गोल चारों ओर के धरातल पर है जनता का दल एक, 

एक पक्ष । जलता हुआ लाल कि भयानक सितारा एक, 

उद्यीपित उसका विकराल सा इशारा एक । 


गंगा मे, इरावती मे, मिनाम मे अपार अकुलाती हुई, 

नील नदी, आमेजन, मिसौरी मे वेदना से गाती हुई, 

बहती-बहाती हुई जिंदगी की धारा एक; प्यार का इशारा एक, 

क्रोध का दुधारा एक । 

पृथ्वी का प्रसार अपनी सेनाओ से किए हुए गिरफ्तार,

 गहरी काली छायाँए पसारकर, 

खड़े हुए शत्रु का काले से पहाड़ पर काला-काला दुर्ग एक, 

जन शोषक शत्रु एक ।

आशामयी लाल-लाल किरणों से अंधकार चीरता सा मित्र का स्वर्ग एकः जन-जन का मित्र एक ।


विराट प्रकाश एक, क्रांति की ज्वाला एक, 

धड़कते वक्षों मे है सत्य का उजाला एक,


लाख-लाख पैरो की मोच मे है वेदना का तार एक,


हिये मे हिम्मत का सितारा एक ।


चाहे जिस देश, प्रांत, पुर का हो


जन-जन का चेहरा एक ।


एशिया के, यूरोप के, अमरीका के भिन्न-भिन्न वासस्थान;


भौगोलिक, ऐतिहासिक बंधनो के बावजूद, 

सभी ओर बहने है, सभी ओर भाई है।  

सभी ओर कन्हैया ने गाये चराई है जिंदगी की मस्ती की अकुलाती भोर एक; बंसी की धुन सभी ओर एक ।


दानव दुरात्मा एक, मानव की आत्मा एक ।

 शोषक और खूनी और चोर एक ।


जन-जन के शीर्ष पर, शोषण का खड्ग अति घोर एक ।


दुनिया के हिस्सों मे चारो ओर


जन-जन का युद्ध एक,


मस्तक की महिमा व अंतर की ऊष्मा से उठती है ज्वाला अति क्रुद्ध एक ।


संग्राम का घोष एक,


जीवन संतोष एक ।


क्रांति का, निर्माण का,

 विजय का सेहरा एक,

 चाहे जिस देश, प्रांत, पुर का हो 

जन-जन का चेहरा एक ! 


1. 'जन-जन का चेहरा एक' से कवि का क्या तात्पर्य है?


उत्तर- 'जन-जन का चेहरा एक' से कवि का तात्पर्य दुनिया के अनेक देशों मे रहने वाले पीड़ित तथा अपने मेहनत और कर्म से न्याय, शांति, बंधुत्व चाहने वाले लोगो से है। कवि इस जनता मे एकता और समानता को दिखाया है।


2. बँधी हुई मुट्ठियों का क्या लक्ष्य है ?


उत्तर- कवि बँधी हुई मुट्ठियों के लक्ष्य के माध्यम से जनता की ताकत का एहसास कराना चाहता है जो किसी भी विषम पर्सि थतियों मे एक हो सकती है। इस बँधी मुट्ठियों की ताकत इतनी है कि जनता के शोषण करने वालो को कभी भी सत्ता से हटा सकती है। यह ताकत उनके लिये काल तथा ज्वाला भी बन सकती है।


3. कवि ने सितारे को भयानक क्यो कहा है? सितारे का इशारा किस ओर है ?


उत्तर- कवि ने सितारे को भयानक इसलिए कहा है क्योकि वह अपनी चमक तथा दहक से जनता की शोषण करने वालो को हानि पहुँचाता है। इन सितारो मे एकता है, ज्वाला है, ताकत है।


सितारे का इशारा संघर्ष कर रही जनता की ओर है। इन्ही सितारो से तो देश के भविष्य का निर्धारण किया जाता है।


4. नदियों की वेदना का क्या कारण है ? 

 उत्तर- नदियों की वेदना का कारण है- उनके आस-पास बसने वालो लोगो की पीड़ा और शोक संताप । हमारी भारतीय संस्कृति के अनुसार नदियों को 'माँ' कहा गया है। जब लोग कष्ट में होंगे तो माँ (नदियां) भी दुखित हो जायेंगी। अतः कवि को ऐसा लगता है कि नदियां भी वेदनाग्रस्त है।


5. अर्थस्प्ष्ट करे-


(क) आशामयी लाल-लाल किरणों से अंधकार चीरता सा मित्र का स्वर्ग एक; जन-जन का मित्र एक


उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित काव्य 'जन-जन का चेहरा एक' से लिया गया है। कवि इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है कि सूर्य कि लाल किरणें अंधकार का नाश करते हुए मित्र के स्वर्ग के समान है। 



(ख) एशिया के, यूरोप के, अमरीका के भिन्न-भिन्न वासस्थान;


भौगोलिक, ऐतिहासिक बंधनो के बावजूद, सभी ओर हिंदुस्तान, सभी ओर हिंदुस्तान ।


उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित काव्य 'जन-जन का चेहरा एक' से लिया गया है। इस पंक्ति का अर्थ यह है कि पीड़ित और शोषित लोग किसी एकस् थान विशेष पर ही नही रहते है। वे एशिया, यूरोप तथा अमरीका के विभिन्नस् थानो के वासी हो सकते है। उनमे भौगोलिक तथा ऐतिहासिक भिन्नताएँ और बंधन हो सकते है। लेकिन फिर भी उनमे एकता की भावना होती है। इसी तरह हिंदुस्तान भी चारो ओर फैला हुआ है। यहाँ भी अनेक भिन्नताएँ है पर सभी एक है।


6. 'दानव दुरात्मा' से क्या अभिप्राय है?


उत्तर- जो लोग मध्यमवर्गीय या कमजोर लोगो को शोषित करते है, उनके हक को छीनते है, उन्हे 'दानव द्वरात्मा' कहा गया है। इनके कारण ही पीडित लोग संघर्ष करने के लिये विवश है।


7. ज्वाला कहाँ से उठती है? कवि ने इसे 'अतिक्रुद्ध' क्यो कहा है ?


उत्तर- ज्वाला शोषित और पीड़ित व्यक्तियों के हृदय से उठती है। कवि ने इसे अतिक्रुद्ध इसलिये कहा है क्योकि अब जनता धैर्य की सीमा पार कर चुकी है। इनके साथ हो रहे अन्याय ने इन्हे विवश कर दिया है। अब ये अपना हक प्राप्त करने के लिये वे क्रांति करने के लिये तत्पर हो चुके है। अब हर हाल मे वे अपना अधिकार प्राप्त करके ही रहेंगे।


8. समूची दुनिया मे जन-जन का युद्ध क्यो चल रहा है ? 


उत्तर- समूची दुनिया मे जन-जन का युद्ध इसलिये चल रहा है क्योकि शोषण करने वाले भी सभी जगह पर है, वो किसी विशेष क्षेत्र मे नही है। सारी दुनिया इस समस्या को झेल रही है अतः जन-जन का युद्ध पुरी दुनिया मे चल रहा है ताकि इन्हे अपना हक मिल सके ।


9. कविता का केंद्रिय विषय क्या है ? 


उत्तर- कविता मे उन लोगों के संघर्ष का वर्णन है जो पीडित है, जो दबाये जा रहे है, जो सताये जा रहे है, जो अपने अधिकारो से वंचित है। इनका शोषण लगातार होते जा रहा है। शोषण करने वाले भी किसी विशेष जगहो पर नही है बल्कि पुरि दुनिया मे फैले है। इस प्रकार संघर्ष करने वाले भी पुरी दुनिया मे फैले है। अब ये जनता जग चुकी है, इनमे एकता नजर आ रही है । इनके उत्साह तथा संकल्प को देखकर ऐसा लगता है कि वे अपना हक प्राप्त करके ही रहेंगे ।


10. प्यार का इशारा और क्रोध का दुधारा से क्या तात्पर्य है ?


उत्तर- प्यार का इशारा का तात्पर्य संघर्ष कर रहे लोगो से है। इन लोगो को प्यार तथा अपनत्व की जरूरत है। क्रोध का दुधारा का तात्पर्य भी इन्ही लोगो से है क्योकि अब ये अपना हक पाने के लिये तलवार की धार से भी डरने वाले नही है।


11. पृथ्वी के प्रसार को किन लोगों ने अपनी सेनाओं से गिरफ्तार कर रखा है?


उत्तर- समाज के ताकतवर, पूंजीवादी, और शोषक लोगो ने अपनी सेनाओ से इस पृथ्वी के प्रसार को गिरफ्तार कर रखा है। इन लोगो ने औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार कर पृथ्वी को गिरफ्तार कर लिया है। जिनस्थानों पर हरे- भरे खेत, पेड़-पौधे तथा बाग-बगीचे होने चाहिये, आज वहाँ विकास के नाम पर औद्योगिक क्षेत्र खड़ा करने का होड़ लगा है।


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