11. प्यारे नन्हे बेटे को
लेखक- विनोद कुमार शुक्ल
जन्म- 1 जनवरी 1937
वर्तमान उम्र- 83 वर्ष
जन्म-स्थान - राजनांदगाँव, छत्तीसगढ
निवास - रायपुर, छत्तीसगढ़
वृत्ति- इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में एसोशिएट प्रोफ़ेसर, निराला सृजनपीठ में जून 1994 से जून 1996 तक अतिथि साहित्यकार रहे ।
कविता संग्रह
➢ लगभग जयहिंद (1971)
➢ वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह (1981)
➢ सब कुछ होना बचा रहेगा ) 1992)
➢ अतिरिक्त नहीं) 2000)
➢ कविता से लंबी कविता (2001)
➢ आकाश धरती को खटखटाता है (2006)
➢ पचास कविताएँ ) 2011)
➢ कभी के बाद अभी )2012)
➢ कवि ने कहा- चुनी हुई कविताएँ ) 2012)
➢ प्रतिनिधि कविताएँ (2013)
उपन्यास
➢ नौकर की कमीज़ (1979)
➢ खिलेगा तो देखेंगे (1996)
➢ दीवार में एक खिड़की रहती थी (1997)
➢ हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़ (2011)
➢ यासि रासा त (2017)
➢एक चुप्पी जगह (2018)
कहानी संग्रह
➢ पेड़ पर कमरा (1988)
➢महाविद्यालय (1996)
सम्मान - रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार (1992), दयावती मोदी कवि
शेखर सम्मान (1997), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1999)
* इनके उपन्यासों का कई भारतीय भाषाओं मे अनुवाद तथा 'पेड़ पर
कमरा' कहानी संग्रह का इतावली भाषा मे अनुवाद ।
'नौकर की कमीज' उपन्यास पर मणि कौल द्वारा फिल्म का निर्माण भी किया गया ।
पाठ का प्रश्न उत्तर
1. 'बिटिया' से क्या सवाल किया गया है ?
2. 'बिटिया' कहाँ-कहाँ लोहा पहचान पाति है ?
उत्तर- बिटिया अपनाने आसपास उपस्थित लोहे को पहचान पाती है। उसके आसपास चिमटा, कलछुल, अंगीठी, सँड़सी, दरवाजे की सांकल, कब्जे, उसमे लगी किले आदि है, जिनमे वह लोहे को पहचानती है।
3. कवि लोहे की पहचान किस रूप मे काराते है ? यही पहचान उनकी पत्नी किस रूप मे कराती है ?
उत्तर- कवि लोहे की पहचान अपने आसपास कि वस्तुओ जैसे फावडा, कुदाली, टंगिया, खुरपी, बसुला, बैलगाड़ी के पहिए पर चढ़ा पट्टा, बैलो के गले मे लगे घंटी आदि से कराते है।
4. लोहा क्या है ? इसकी खोज क्यो की जा रही है ?
उत्तर-लोहा एक धातु है जो अपनी मजबूती, बहुउपयोगिता और सर्वव्यापकता के लिए प्रसिद्ध है। पाठ मे चर्चित भिलाई, बलाडिला मे लोहा की खदान भी प्रसिद्ध है। इसकी खोज इसलिये की जा रही है क्योकि यह मानव के लिए बहुत ही उपयोगी है अर्थात यह हमारी जिंदगी और संबंधो मे घुल-मिल गया है।
5. 'इस घटना से उस घटना तक' यहाँ किन घटनाओ की चर्चा है?
उत्तर - 'इस घटना से उस घटना तक' का तात्पर्य बच्ची के छोटे से लेकर व्यक्ति के बेटे को बड़े हो जाने तथा लड़की के लिए उपयुक्त वर ढूँढकर उसकी शादी करने से है, जिससे उसे जिंदगी और मानवीय संबंधो की सच्ची समझ हो सके ।
6. अर्थ स्पष्ट करे-
कि हर वो आदमी, जो मेहनत कश लोहा है,
हर वो औरत दबी सताई, बोझ उठाने वाली, लोहा ।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ विनोद कुमार शुक्ल द्वारा रचित कविता 'प्यारे नन्हे बेटे को' से लिया गया है। इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह बताना चाहते है कि हर वो आदमी जो अपनी जीविका के लिए हर विषम परिस्थितियों मे, गर्मि, सर्दी, बरसात, मे कठिन परिश्रम करता है, वो भी लोहा के समान ही है। हर वो औरत जो अत्याचार सहकर भी अपने दुखो को झेल रही है वो भी लोहा के समान ही है । अतः कवि ने यह बताना चाहते है कि लोहा साधारण धातु न रहकर परिश्रमी इंसान तथा दुख सहने वाले लोगो के कर्म का प्रतिक है।
7. कविता मे लोहे की पहचान अपने आसपास मे की गई है। बिटिया, कवि और उनकी पत्नी जिन रूपो मे इसकी पहचान करते है, ये आपके मन मे क्या प्रभाव उत्पन्न करते है? बताइए ।
उत्तर- बिटिया, कवि और उनकी पत्नी जिन रूपो मे इसकी पहचान करते है, उससे हमारे मन मे निम्नलिखित प्रभाव उत्पन्न हो रहे है-
(क) यह हमारे आसपास कदम-कदम पर मिल जाता है।
(ख) यह घर गृहस्थी मे सभी जगह व्याप्त है।
(ग) यह मजबूती, सहनशीलता और दृढ़ता का प्रतीक है।
(घ) यह हमारी जिंदगी और संबंधो को भी प्रभावित करता है।
(ङ) लोहा हमारा आधार है।
8. मेहनतकश आदमी और दबी-सतायी, बोझ उठाने वाली औरत मे कवि द्वारा लोहे की खोज का क्या आशय है ?
उत्तर-
कवि यह बताना चाहते है कि हर वो आदमी जो अपनी जीविका के लिए हर विषम परिस्थितियों मे, गर्मि, सर्दी, बरसात, मे कठिन परिश्रम करता है, वो भी लोहा के समान ही है। हर वो औरत जो अत्याचार सहकर भी अपने दुखो को झेल रही है, वो भी लोहा के समान ही है। इंसान की शारीरिक मानसिक दृढ़ता और कर्म लोहे कि सदृश है।9. यह कविता एक आत्मीय संसार की सृष्टी करती है पर वह संसार बाह्य निरपेक्ष नही है। इसमे दृष्टी और संवेदना, जिजीविषा और आत्मविश्वास सम्मिलित है। इस कथन की पुष्टि कीजिए ।
उत्तर- यह कथन पुरी तरह सत्य हैं कि यह कविता आत्मीय संसार की सृष्टि करती है। कवि ने जिस आत्मीय संसार की सृष्टि की है, उसमें मेहनतकश आदमी के परिश्रमपूर्ण जीवन तथा शोषित, पीडित, अत्याचार को सहती हुई औरत की घर-परिवार की जिम्मेदारियो का बोझ उठाए जीवन जीने की अभिलाषा को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा कवि ने बेटे को बड़े और बेटी के लिए उपयुक्त वर मिलने तथा उसके शादी करने की बात भी कही है। इस प्रकार हम कह सकते है कि यह कविता दृष्टी और संवेदना, जिजीविषा और आत्मविश्वास युक्त आत्मीय संसार की सृष्टि करती है।
10. बिटिया को पिता 'सिखलाते' है तो माँ 'समझाती' है। ऐसा को ?
उत्तर- ऐसा इसलिए है क्योकि पिता पुरुष होने के साथ ही स्वभावतः उत्साही एवं निडर होता है। इसलिए पुरुष परिणाम की चिंता किए बिना कार्य कर देता है। एक स्त्री होने के कारण माँ को जीवन के कटु अनुभवो का ज्ञान होता है। इसिलिए वो अनेक प्रकार से बिटिया को समझाती है ।
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By- Monu Sir & anu sir