5. कवित्त(kavit)Questions answer Bihar board 12th Hindi

 

5. कवित्त


लेखक परिचय


लेखक- भूषण


जन्म 1613


निधन - 1715


जन्मस्थान - तिकवापूर, कानपुर, उत्तरप्रदेश


पिता- रत्नाकर त्रिपाठी इनका वस्तविक नाम अज्ञात है।


उपनाम - भूषण ('भूषण की उपाधि इन्हे चित्रकूट के सोलंकी राजाद्र साह सिंह ने दी थी ।


> ये रीतिकाल के प्रवर्तक कवि चिंतामणित्रिपाठी और प्रसिद्ध आचार्य मतिराम के भाई थे।


प्रमुख आश्रयदाता- छत्रपति शिवाजी, शिवाजी के पुत्र शाहूजी एवं श्न के बुंदेला राजा छत्रसाल रचनाये - शिवरज भूषण, शिवा बावनी, छत्रसाल दशक,


> भूषण-हजारा, भूषण उल्लास, दूषण उल्लास नामक कृतियां अप्राप्य है 

                         


5. कवित pdf download science sangrah




                          (1)

इंद्र जिमि जंभ पर बाड़व ज्यौं अंभ पर, 

रावन सदंभ पर रघुकुल राज है।


पौन बारिबाह पर संभु रतिनाह पर, 

ज्यौं सहस्रबाहु पर राम द्विजराज है।


दावाष्ट्र म-दंड पर चीता मृग-झुंड पर, 

भूषन बितुंड पर जैसे मृगराज है।


 तेज तम अंस पर कान्ह जिमि कंस पर,

 यौ मलेच्छ बंस पर सेर सिवराज है।


                          (2)


निकसत म्यान ते मयुखै, प्रलै-भानु कैसी,

 फारै तम-तोम से गयंदन के जाल को ।  


लागति लपकि कंठ वैरिन के नागिनि सी,

 ब्र हि रिझावै दै दै मुंडन की माल को।  


 लाल छितिपाल छ साल महाबालु बली,

 कहाँ लौ बखान करौ तेरी करवाल को ।


 प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि,

 कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल को| 



पाठ का प्रश्न उत्तर


1. शिवा जी की तुलना भूषण ने किन किन से की है ?


उत्तर - शिवाजी की तुलना भूषण ने इन्द्र, समुन्द्र अग्नि, भगवान राम, वायु, शिवजी, पशुराम, दावग्नि, चीता, बाघ, तेज, तथा कृष्ण से की है | 


2. शिवाजी की तुलना भूषण ने मृगराज से क्यो की है ?


उत्तर- शिवाजी की तुलना भूषण ने मृगराज से इसलिये की है क्योकि पशुओं के राजा शेर का पूरे जंगल मे राज होता है। सभी पशु उसकी एक दहाड़ से कांपने लगते है। वह बहुत ही बलशाली होता है। ऐसे ही शिवाजी भी शेर की भाँति बलशाली, पराक्रमी तथा शौर्यवान है।


By-Anu Sir (Science Sangrah)


3. छत्रसाल की तलवार कैसी है? वर्णन कीजिए।


उत्तर- छत्रसाल की तलवार खै रुप धारण कर रखा है। उनकी तलवार इतनी धारदार है कि हाथी के ऊपर पड़ी हुई लोहे की जालियो को काट रही है जिससे वह अंधकार को चीरकर निकलते हुए सूर्य के समान चमकती हुई प्रतीत हो रही है। उनकी तलवार शत्रुओ के गले में मृत्यु के समान लिपट रही है। शत्रुओं के सिरों की माला शिवाजी को अर्पित कर रही है। 


4. नीचे लिखे अवतरणो का अर्थस्पष्ट करे-


(क) लागति लपकि कंठ वैरिन के नागिनी सी, 

द्र हि रिझावै दै दै मुंडन की माल को।


उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति भूषण कवि की कविता 'छत्रसाल दशक' से संकलित की गई कविताओं से ली गई है। कवि तलवार की प्रशंसा करते हुये कहते है कि छ साल की तलवार बु मनो के गले मे तेज गति से जहरीली नागिन के समान लिपट जाती है और देखते ही देखते उनके सिर धड़ से अलग कर देती है। तलवार द्वारा सिरों के यूँ कटकर गिरते देखकर ऐसा लग रहा है कि वह भगवान शिव को प्रस करने के लिये मुंडमाल अर्थात सिरों की माला अर्पित करना चाहती हो।


(ख)प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि,

 कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल को।


उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति भूषण कवि की कविता 'छ साल दशक' से ली गई है। कवि कहते है कि छ साल की तलवार शस्त्रुओ को काटकर कालिका अर्थात काली देवी को सुबह का नत्र ता प्रदान कर रही है अर्थात वह मृत्यु की देवी को प्रश्न करने के लिये न ओ का कलेवा प्रदान कर रही है। छ साल की तलवार शस्त्रु  योद्धाओ के अनेक समूहों को काट रही है।


By-Anu Sir (Science Sangrah) 



5. भूषण रीतिकाल की किस धारा के कवि है, वे अन्य रीतिकालीन कवियो से कैसे विशिष्ट है ?


उत्तर- भूषण एक रीतिबद्ध आचर्य कवि थे, किंतु अलंकार निरुपण करते समय उनका आचार्य रुप बहुत सफल नही हो सका। उनका काव्य रुप ही ज्यादा सफल रहा। रीतिकाल मे थिंगार रस की प्रधानता थी। प्रायः सभी कवि भिंगार रस की कविता लिखते थे । लेकिन कवि भूषण ने इन सब से हटकर वीर रस को प्रमुखता दी।


6. आपके अनुसार दोनो छंदो मे अधिक प्रभावि कौन है और क्यों ?


उत्तर- मेरे अनुसार दोनो छंदो मे अधिक प्रभावी पहला कवित्त है, क्योकि इसमे शिवाजी के बल, साहस और पराक्रम का वर्णन बड़ा ही सुंदर रुप मे किया गया है। वैसे भी चेतन प्राणी के बल, साहस और पराक्रम का बखान ही अच्छा लगता है और वही तलवार की महिमा कुछ खटकती है 



> भूषण जी की कविता की भाषन्न जथी।


> शिवराज भूषण के 384 छंदो मे 105 अलंकारो का निरुपण है।


> शिवाबावनी मे 52 मुक्तक है।


> प्रथम छंद मे वीर रस है।


> द्वितीय छंद मे विभत्स / खै रस है।


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By-Monu Sir & Anu Sir


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