7.ओसदानीरा पाठ का प्रश्न उत्तर subjective questions answer @science sangrah pdf

                          7.ओसदानीरा
                         पाठ का प्रश्न उत्तर 


1. चंपारण क्षेत्र में बाढ़ की प्रचंडता के बढ़ने के क्या कारण है?


उत्तर- चंपारण क्षेत्र में पहले बहुत घना जंगल हुआ करता था, जो कि पानी को रोकता था। धीरे-धीरे जंगल की कटाई होने के बाद वो महावन समतल हो गया। बाढ़ के पानी का बहाव में कोई रुकावट नही होता था और वहां बाढ़ प्रचंड रूप में आने लगा।


2. इतिहास की कीमियाई प्रक्रिया का क्या आशय है ?


उत्तर- हमारे यहाँ बारहवी सदी से लगभग तीन सौ वर्ष तक कर्णाट वंश का राज्य था। प्रथम राजा नान्यदेव, चालुक्य नृपति सोमेश्वरपुरत्र, विक्रमादित्य के सेनापति आदि नेपाल तथा मिथिला की विजय यात्रा पर आए और फिर यही बस गए। इस तरह सुगर दक्षिण का रक्त और संस्कृति इस प्रदेश की निधि है। यही इतिहास की कीमियाई प्रक्रिया है।


3. धाँगड़ शब्द का क्या अर्थ है ?


उत्तर- ओरांव भाषा में धाँगड़ शब्द का अर्थ होता है 'भाड़े का मजदुर'

ये लोग दक्षिण बिहार के छोटा नागपुर पठार के आदिवासीयों के वंसज है। इन लोगो को नील की खेती के सिलसिले में 18वी शताब्दी के अंत तक यहाँ लाया गया था ।

थारुओं की अनुपम कला गृहकला थी।


4. थारुओं की कला का परिचय पाठ के आधार पर दे।


उत्तर- थारुओं के लिए कला उनका महत्वपूर्ण अंग है। उनकी कला सराहने के योग्य है। वे अपने घरो में धान रखने के लिए कई तरह के रंगों वाली सींक से टोकरी (पात्र) बनाते थे। झोंपड़ी में प्रकाश के लिए जो दीपक थे, उसमे भी उनकी कला नजर आती थी, शिकारी और किसान के काम आने वाले जो पदार्थ मूँज से बनाये जाते थे, उनमे भी उनकी बहुत ही सुन्दर कला दिखती थी। इन सब कलाओं के अतिरिक्त सबसे मनोहर कला थी' नववधु का अनोखा कर्तव्य'। उन लोगो में ऐसा रिवाज था कि हर पत्नी दोपहर का खाना लेकर पति के पास खेत में जाती है। वधु जब ये काम पहली बार करती है तो माथे के उपर पीढ़ा पर रखे सींक से बनी टोकरी में खाना लेकर, उसे दोनों हाथो से सम्भालते हुए धीरे धीरे कदमो के साथ खेतो में जाती है। यह श्य बहुत ही सुहावन होता है।


5. अंग्रेज निलहे किसानो पर क्या अत्याचार करते थे ?


उत्तर- अंग्रेज ठेकेदार ने 19वी सदी में नील की खेती का विस्तार किया। उस समय नील की बहुत मांग थी क्योकि नील से ही रंग बनाये जाते थे। नील की खेती के लिए किसानो पर अंग्रेजो ने बहुत अत्याचार किये है। वे किसानो से जबरदस्ती नील की खेती करवाते थे। किसानो को ऐसा कहा गया था कि हर 20 कट्ठा जमीन में 3 कट्ठा नील की खेती करना है। किसानो के घर में शादी विवाह या कोई खुशी का माहौल होता था तो साहब के यहाँ नजराना भेजना पड़ता था । साहब बीमार पड़ते थे तो उनके इलाज के लिए पैसे किसानो से वसूले जाते थे। ये सब अत्याचार किया करते थे अंग्रेजो ने किसानो पर ।


6. गंगा पर पुल बनाने में अंग्रेजो ने क्यों दिलचस्पी नही ली?


उत्तर- अंग्रेजो के खिलाफ दक्षिण विहार में क्रन्तिकारी विचार फैल गए थे। अंग्रेजो के साथ वहां बगावत की थति उत्पन हो गई थी। अगर ये क्रन्तिकारी विचार एवं बगावत अन्य जगहों पर फैल जाता तो अंग्रेजो का बहुत भरी नुकसान होता। अंग्रेज नहीं चाहते थे कि ये क्रन्तिकारी विचार अन्य जगहों पर फैले, इसलिए वे गंगा पर पुल बनाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे।


7. चंपारण में शिक्षा की व्यस्था के लिए गांधीजी ने क्या किया ?


उत्तर- गांधीजी के विचार से आर्थिक समस्याओं को दूर करने का एकमात्र उपाय है 'शिक्षा'। गांधीजी ने चंपारण में शिक्षा के लिए वहाँ के तीन गाँव बड़हरवा, मधुबन, भितिहरवा में आश्रम विद्यालय कीस् थापना की। उन विद्यालयों की जिम्मेदारी गुजरात, महाराष्ट्र से आये कार्यकर्ताओं को दिया गया। विदेशो से शिक्षाप्राप्त शिक्षक वहां रखे गए ताकि सञ्चालन अच्छे से हो ।


कुछ मुख्य बाते-


बड़हरवा का विद्यालय इंजिनियर श्री बवनजी गोखले और उनकी पत्नी अवन्तिकबाई गोखले ने चलाया। मधुबन का विद्यालय नरहरिदास पारिख और उनकी पत्नी, तथा महादेव देसाई ने चलाया । भितिहरवा के अध्यक्ष डॉक्टर देव और सोमन जी थे। इनके अलावा वहाँ पुंडलीक जी और कस्तूरबा भी थी।


8. गांधीजी के शिक्षा सम्बन्धी आदर्श क्या थे ?


उत्तर- गांधीजी के शिक्षा का मुख्य मकसद था कि बच्चो में संस्कार एवं उत्तम चरित्र हो। अक्षरज्ञान तो इस उद्देश्य की प्राप्ति का एक साधन मात्र है। वर्तमान शिक्षा पद्धति जो है वो छोटे बच्चो के चरित्र और बुद्धि का विकास करने के बजाय उन्हें बौना बना देती है। गांधीजी ने कहा कि जो बच्चे जीविका के लिए नये साधन सीखना चाहते है उनके लिए औद्योगिक शिक्षा की व्यक् था की जाएगी। गांधीजी का यह भी विचार था कि जो ज्ञान वे स्कुल में प्राप्त करेंगे उसका उपयोग खेती और ग्रामीण जीवन में करेंगे।


9. पुंडलीक जी कौन थे ?


उत्तर- पुंडलीक जी एक शिक्षक थे। ये गांधीजी के आदर्शों को सच्चे दिल से मानने वाले बड़े ही निर्भय पुरुष थे। जिन्हें गाँधीजी ने 1917 में बेलगाँव से भितिहरवा बुलाया था। पुंडलीक जी को गांधीजी ने इसलिए बुलाया था ताकि वो आश्रम में रहकर बच्चो को शिक्षा दे और साथ ही साथ ग्रामवासियों के दिल से अंग्रेजो के प्रति भय को दूर करे।


10. गांधीजी के चंपारण आन्दोलन की किन दो सीखों का उल्लेख लेखक ने किया है?


उत्तर- गांधीजी के चंपारण आन्दोलन के दो मुख्य सीख है 'निर्भीकता' और ईमानदारी। गांधीजी ने निर्भीक होने की शिक्षा पुंडलीक जी को दी और पुंडलीक जी ने वो शिक्षा पुरे गांववालों को दी। गांधीजी में सबसे बड़ी विशेषता ईमानदारी की यह थी कि सत्यता को तोलना' । अर्थात वो आन्दोलन के समय किसी भी खबर के बारे में सुनते थे तो पहले उसे अच्छे तरीके से अपने अनुसार जांच-पड़ताल कर लेते थे, उसके बाद कुछ लिखते थे या बोलते थे ।


12. अर्थ स्पस्ट कीजिये -


(क) वसुंधरा भोगी मानव और धर्माधमानव - एकही सिक्के के दो पहलु है।


उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति विद्वान लेखक जगदीशचंद्र माथुर द्वारा रचित निबंध 'ओ सदानीरा' से लिया गया है। लेखक इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है कि पृथ्वी पर सुख भोगने वाला मानव और धर्म का अंधे की तरह अनुकरण करने का भाव रखने वाला मानव जिस प्रकार विशाल जंगल को काट दिया उसी प्रकार मूर्तियों का को भी नष्ट कर दिया। साथ ही साथ कई धर्मस् थलों को तोडा अर्थात मानव को जिससे सुख मिलता है वो उसी का नष्ट कर रहा है। अतः वसुंधरा भोगी मानव और धर्मांधमानव एक ही सिक्के की दो पहलु है।


(ख) कैसी है चंपारण की यह भूमि? मानो विस्मृति के हाथो अपनी बड़ी से बड़ी निधियो को सौपने के लिए प्रस्तुत करती है


उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति विद्वान लेखक जगदीशचंद्र माथुर द्वारा रचित निबंध 'ओ सदानीरा' से लिया गया है। लेखक इस पंक्ति के माध्यम से चंपारण की भूमि का गुणगान किया, उन्होंने कहा कि यह भमि महान है प्रस्तुत पंक्ति विद्वान लेखक जगदीशचंद्र माथुर द्वारा रचित निबंध 'ओ सदानीरा' से लिया गया है। यहाँ अनेक बाहरी व्यक्ति आये एवं कई आक्रमणकारी भी आये। उन्होंने या तो इस पावन भूमि को क्षति पंहुचाया या आकर बस गये । किन्तु धन्य है इस भूमि की सहनशीलता एवं उदारता जो इतने अत्याचार होते हुए भी सबको भुला दिया और क्षमा कर दिया ।


13. लेखक ने पाठ में विभिन्न लोगो के विभिन्न थानों से आकर चंपारण और उसके आसपास बसने का जिक्र किया है वे कहाँ कहाँ से और किसलिए वहाँ आकर बसे ?


उत्तर- लेखक ने बताया कि विजय यात्रा पर आये नान्यदेव, चालुक्य नृपति, विक्रमादित्य के सेनापति चंपारण की भूमि पर आये और यही बस गए। नान्यदेव यहाँ कर्नाट वंशस् थापित किये। अंग्रेज ठेकेदार, पश्चिमी भारत के जमींदार, पूर्वी बंगाल, दक्षिणी बिहार के विभिन्न वर्ग के लोग यहाँ आकर बस गए। अंग्रेजो का मकसद था नील की खेती से मुनाफा कमाना और ये किसानो से खेती जबरदस्ती करवाते थे। खेती करने के लिए धाँगड़ और थारुओं को भी बुलाया गया था।


14. निलहे गोरो और गांधीजी से जुड़े प्रसंगो को अपने शब्दों में लिखिए ।


उत्तर- निलहे गोरो ने जब किसानो पर अत्याचार किया करते थे तब आतंक और बेबसी के उस आलम में अचानक से गांधीजी का आगमन हुआ। गांधीजी ने चंपारण की प्रजा को भय और अत्याचार से बचाने का प्रयत्न किया और वहाँ के बच्चो के लिए शिक्षा व्यक् था शुरु की। पुंडलिक जी ने भी निर्भीकता गांधीजी से ही सीखी थी । पहले एक कायदा था कि साहब जब आयें तो घर के मालिक उसके घोड़े की लगाम पकडे। एक दिन एमन साहब (बड़ा ही अत्याचारी था) आये तो पुंडलीक जी ने कहा, "नही, उसे आना है तो मेरी कक्षा में आये, मै लगाम पकड़ने नही जाऊँगा।" यही निर्भीकता चंपारण आन्दोलन की सबसे बड़ी देन है।


15. चौर और मन किसे कहते है? वे कैसे बने और उनमे क्या अंतर है?


उत्तर- जब चम्पारण में बाढ़ आती थी तो उपजाऊ मिट्टी छुट जाते थे क्योकि नदी अपना पूर्व रास्ता बदल देती है, तो इस प्रकार उनकी बनावट पर उन्हें चौर और मन कहा गया है। चौर उसे कहा गया है जिनमे पानी जाड़े या गर्मी में कम हो जाता है और इसमें खेती आसानी से होती है । मन गहरे और विशाल ताल होते है। इसमें आसानी से खेती नही हो पाती है।


16. कपिलवस्तु से मगध के जंगलो तक की यात्रा बुद्ध ने किस मार्ग से की थी ?


उत्तर- बुद्ध पंडई नदी के सहारे भिखनाथोरी, भितिहरवा, रामपुरवा, लौरिया, नंदगढ, अरेराज, केसरीया होते हुए मगध के जंगलो तक पहुँचे । पंडइ नदी भिखनाथोरी तक जाती है। मठ के महंत ने गांधीजी को महुए के पेड़ के निचे जगह दी।



7.ओसदानीरा पाठ का प्रश्न उत्तर subjective questions answer @science sangrah pdf 

By- Anu Sir (Science Sangrah Youtube channel)