5. रोज (कहानी) सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" 12th Hindi
1. मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा? अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर- मालती के घर का वातावरण तो इस प्रकार था जैसे की वहां कोई छाया मंडरा रही हो, मशीन की तरह उसकी दिनचर्या थी, उदास मन एवं थका-थका तन, जिसमे खुशियों की एक भी किरण नही थी। मालती के घर इतना प्रिय एवं विशेष अतिथि के आने पर भी उसका मन खिला भी नही, बुझा ही रहा। अतिथि से कुछ बाते भी नही करती, उलटे उनके प्रश्नों के उत्तर भी बहुत ही संक्षिप्त में देती थी। लेखक को ये बात जरुर अनुभव हो रहा है की इतना चहकने वाली लड़की कुछ ही वर्षों में इतनी बुझ कैसे गई ?
2. दोपहर में उस सुने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा मानो उस पर किसी की शाम की छाया मंडरा रही हो, यह कैसी शाम की छाया है ? वर्णन कीजिये ।
उत्तर- लेखक अपने दूर के रिश्तेदार के बहन के यहाँ आये थे। यह वही बहन थी जिसके साथ लेखक का बचपन बीता था। वह लेखक की सखी अधिक थी, साथ खेलना, लड़ना, झगड़ना, साथ पढना-लिखना हुआ था। वो व्यवहार से बिलुकल स्वच्छ थी। शादी के बाद औरत में इतना बदलाव आ जाता है कि वह अपने भाई, सखा और अतिथियों के आने पर भी जरा सा उल्लास नही दिखा पाती। उसके वार्तालाप भी बहुत नीरस है, मात्र प्रश्न के उत्तर देती है, यह भी नही पूछती की आप कैसे हो ? जीवन बिलकुल ही मौन, इससे ऐसा लग रहा है कि वह कुछ सह रही है, भोग रही है। यही थति यह बताती है कि मालती के घर पर शाम की छाया मंडरा रही है।
3. लेखक और मालती के सम्बन्ध का परिचय पाठ के आधार पर दे।
उत्तर- लेखक मालती के दूर के रिश्तेदार है और रिश्ते में वो भाई है पर बचपन में उनका सम्बन्ध सख्य (मित्रता) का था। एक साथ रहते थे, खेलते थे, लड़ते झगड़ते थे, साथ साथ पिटते भी थे। लेखक का अध्ययन भी मालती के साथ ही हुआ था । उनके व्यवहार में सदा सख्य की स्वेच्छा और स्वछंदता रही है। वह कभी भातृत्व के या बड़े छोटेपन के बन्धनों में नहीं घिरा ।
4. मालती के पति महेश्वर की कैसी छवि आपके मन में बनती है? कहानी में महेश्वर की उपस्थिति क्या अर्थ रखती है ?
उत्तर - पठित पाठ अर्थात इस कहानी के आधार पर यह कह सकते है कि महेश्वर एक व्यस्त व्यक्ति था जिसका परिवार से रूटीन लगाव था। घर में बच्चा रो रहा है, गिर पड़ता है, उसके उपर उसका प्रभाव नही है। मालती का जीवन तो नौकरानी की तरह है। महेश्वर को इस बात का कोई चिंता नही है। घर आना, खाना और खाकर सो जाना, सुबह तैयार होकर डिस्पेंसरी चले जाना एक रूटीन सा हो गया था । ऐसा आभास होता है की महेश्वर की जिंदगी, खुटे से बंधे पशु के समान है जिसकी नियति मात्र कहते के चारो ओर चक्कर काटना ही है। कहानी में जहाँ कही भी महेश्वर की उर्फा थति होती है, वहाँ वातावरण तनावग्रस्त हो उठता है।
5. गैंग्रीन क्या है ?
उत्तर- गैंग्रीन एक ऐसा चोट या घाव होता है जिसका सामान्य इलाज सम्भव नही हो पाता है, उसे गैंग्रीन कहते है। आमतौर पर इसे 'गलाव' कहते है अर्थात घाव ठीक होने के बजाय गलने लगता है, बढ़ने लगता है। उस पर्खि थति में उस अंग को काट देना ही बेहतर माना जाता है।
6. कहानी से उन वाक्यों को चुने, जिनमे 'रोज' शब्द का प्रयोग हुआ है।
उत्तर- कहानी में मालती द्वारा बोले गये कुछ वाक्य है जिसमे 'रोज' शब्द का इस्तेमाल हुआ है।
• मालती टोककर बोली मेरे लिए तो यह नयी बात नही है, रोज ही ऐसा होता है। क्यों पानी का क्या हुआ? रोज ही होता है, कभी वक्त पर आता नही ।
• मै तो रोज ऐसी बाते सुनती हूँ।
• धीरे से बोली कि मेरे तो रोज इतने समय हो जाते है।
7. आशय स्पष्ट करे -
मुझे ऐसा लग रहा था कि इस घर पर जो छाया घिरी हुई है, वह अज्ञात रहकर भी मानो मुझे भी वश में कर रही है, मैं भी वैसा ही नीरस निर्जीव सा हो रहा हूँ जैसे - हाँ, जैसे यह घर जैसे, मालती ।
उत्तर - ये पंक्तियाँ अज्ञेय द्वारा रचित पाठ रोज कहानी से लिया गया है। लेखक मालती के घर दूर के रिश्तेदार के रूप में आये है। अतिथि को यह लगता है कि उस घर पर कोई काली छाया मंडरा रही है। लेखक को यह भी अनुभव हो रहा है कि लेखक भी उस माहौल में जकड़ते चले जा रहे है। वह भी उसकी जकड में आकर बड़ा नीरस और निर्जीव सा हो रहा है ठीक उसी प्रकार जैसे मालती है, जैसा यह घर है।
8. 'तीन बज गए', 'चार बज गये', 'ग्यारह बज गये' कहानी में घंटे के इन खड़को के साथ-साथ मालती की उर्जा थति है। घंटा बजने का मालती से क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर- इससे यह स्पष्ट होता है कि मालती हर समय घंटा गिनती रहती थी क्योकि समय काटे नही कटता, साथ ही उसके आगे की योजना पर भी काम करना होता है। । घर में नौकर है नही, बर्तन मांजने, कपड़े धोने, भोजन बनाने का काम सब वही करती है। घंटा बजने पर उसकी दो मानसिकताएं रहती है, पहली यह है कि चलो अब इतना समय बीत गया, और दूसरा यह कि चलो अब यह कर लो और हर घंटा गिनना उसको आभास कराता है कि अब इतना समय तो बीत गया ।
9. अभिप्राय स्पष्ट करे -
(क) मैंने देखा पवन में चीड के वृक्ष...... गर्मी से सुखकर मटमैले हुए चीड के वृक्ष धीरे-धीरे गा रहे .... कोई राग जो कोमल है, किन्तु करूण नही अशांतिमय है, किन्तु उद्वेग्मय नही ......
उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ अज्ञेय जी द्वारा रचित 'रोज' कहानी से ली गई है। लेखक यह बताना चाहते है कि एक दिन रात करीब साढ़े दस बज रहे थे, मालती खाना खा रही थी वो भी कुछ विचारो में डूबी हुई थी। लेखक आकाश की ओर देखने लगे। पूर्णिमा थी लेकिन आकाश अनभ्र (मेघरहित) था। लेखक बहुत सारे सुखमय थति की कल्पना कर रहे थे लेकिन दुःख की बात है की वो सुखमय पल मालती के लिए नही था। मालती ने वो सब कुछ नही देखा। मालती का जीवन अपनी रोज की नीयत गति से बहा जा रहा था और एक चन्द्रमा की चन्द्रिका के लिए, एक संसार के लिए रुकने को तैयार नही था।
(ख) इस समय मै यही सोच रहा था कि वही उद्धत और चंचल मालती आज कितनी सीधी हो गई है, शांत और एक अख़बार के टुकड़े को तरसती है..... यह क्या, यह......
उत्तर- इस पंक्ति के माध्यम से लेखक यह बताना चाहते है कि जब वो बचपन में मालती के साथ पढ़ते थे तो वही मालती पढ़ाई न कर पाने के लिए पिट जाती थी । एक बार मालती के पिता जी ने उसे एक पुस्तक लाकर दी कि रोज 20 पन्ना पढ़ा करो नही तो मार मार कर चमड़ी उधेड़ दूंगा। मालती ने उसके पढने के बजाय उसके पन्ने फाड़कर फेकने लगी थी और जब पिता जी ने पूछा कि "किताब समाप्त कर ली" ? तो मालती बोली कि "हाँ कर ली"। पिता ने कहा पुस्तक लाओ प्रश्न पूछता हूँ तो मालती चुप चाप खड़ी रही फिर पिता जी के डांट पड़ने पर बोली कि "किताब मैंने फाड़कर फेक दी हैं, मै नही पढूंगी।" उसके बाद वो पिटी, पर ये बात अलग है। लेखक ये सोच रहे है कि वही मालती जिसके बचपन के ये हरक्कत थे लेकिन अब ये एक अख़बार के टुकड़े को तरसती है। क्योकि एक दिन महेश्वर ने अखबार के पन्ने में आम लपेटकर लाया था और उस आम को धोने के लिए बोला था तो मालती उस अख़बार को पढ़ते पढ़ते नल की ओर जा रही थी।
10. कहानी के आधार पर मालती के चरित्र के बारे में अपने शब्दों में लिखिए।
Ans: मालती इस कहानी की प्रमुख पात्र है। वह कथ्य मे प्रारंभ से लेकर अंत तक विद्यमान है। मालती एकाकी जीवन से त्रस्त एक नारी है उसका पति काम मे इतना अधिक व्यस्त रहता है कि उसका पूरा खयाल नही रख पाता है। मालती एकाकी जीवन बिताने के कारण अपने मे खोई रहती है। इसी कारण जब लेखक उसके घर आता है तो वह कुछ अनमने ढंग से बातचीत करती है। मालती का जीवन एक यंत्र की भाँति निश्चित ढर्रे पर चल रहा है। उसमे किसी प्रकार का उल्लास तथा रोचकता नही है। वह एक कुशल गृहणी है। वह घर के समस्त कामो को बडे ही कुशल ढंग से करती है। उसके अंदर दिन-प्रतिदिन संवेदनशीलता कम होती जाती है तभी तो वह अपने एकमात्र बच्चे के गीर जाने पर बडे ही सहज शब्दो मे कहती है' इसको चोटे लगती रहती है, रोज ही गिर पडता है।
By- Anu Sir