अध्याय- 13. शिक्षा pdf
प्रश्न उत्तर
1. शिक्षा का क्या अर्थ है एवं इसके क्या कार्य है? स्पष्ट करे ।
उत्तर- शिक्षा का अर्थ है- जीवन के सत्य से अपने आप को परिचित करना। शिक्षा का कार्य है कि वो संपूर्ण जीवन की प्रक्रिया को समझने मे हमारी सहायता करे तथा स्वतंत्र वातावरण का निर्माण के लिए प्रेरित करना। शिक्षा का कार्य केवल मात्र कुछ नौकरियो और व्यवसायो के योग्य बनाना ही नही है।
2. 'जीवन क्या है?' इसका परिचय लेखक ने किस रूप मे दिया है?
उत्तर- जीवन बडा अद्भुत है, असीम और अगाध है। यह अनंत रहस्यो को लिए हुए है। यह एक विशाल साम्राज्य है जिसमे मानव कर्म करते है। जीवन का परिचय देते हुए लेखक का मानना है कि जीवन कितना विलक्षण है। ये पक्षी, ये फुल, यह आसमान, ये सितारे, ये सरिताएँ ये सब हमारा जीवन है। लेखक जीवन को अत्यंत गुढ भी बताते है और कहते है कि स्वतंत्र वातावरण का निर्माण करना चाहिए जहाँ हम जीवन की सत्यता की खोज कर सके ।
3. 'बचपन से ही आपका ऐसे वातावरण मे रहना अत्यंत आवश्यक है जो 'स्वतंत्रतापूर्ण हो'। क्यो
उत्तर- बचपन से ही आपका ऐसे वातावरण मे रहना अत्यंत आवश्यक है जो 'स्वतंत्रतापूर्ण हो' क्योकि ऐसा वातावरण भयमुक्त होता है। जहाँ भय होता है वहाँ मेधा नही होता है। मेधावी बनने के लिए हमे बचपन से ही स्वतंत्र वातावरण मे रहना आवश्यक है।
4. जहाँ भय है वहाँ मेधा नही हो सकती है। क्यो?
उत्तर- जहाँ भय है वहाँ मेधा नहीं हो सकती क्योकि भय के कारण मनुष्य किसी भी कार्य को स्वतंत्रतापूर्वका नही कर पाता है। उसके भीतर असफलता या हानि का डर बना रहता है। हम सब मे से अधिकांश व्यक्ति जीवन से भयभीत रहते है। हमे नौकरी छूटने का, परंपराओ का तथा अपने परिचितो का भय रहता है जिसके कारण हम पूरे जीवन की प्रक्रिया को समझ नहीं पाते है। इसी कारण मेधा का विकास नहीं हो पाता है।
5. जीवन मे विद्रोह का क्यार थान है?
उत्तर- जीवन मे विद्रोह का महत्वपूर्णस् थान है। जीवन के ऐश्वर्य, इसकी गहराई तथा सुंदरता को हम तभी महसूस करेंगे जब हम प्रत्येक वस्तु के खिलाफ विद्रोह करेंगे। जब हम संगठित धर्म, प्राचीन परंपराओ तथा इस सडे हुए समाज के खिलाफ विद्रोह करेंगे तभी एक मानव की भाँति सत्य की खोज कर पायेंगे ।
6. व्याख्या करे-
यहाँ प्रत्येक मनुष्य किसी न किसी के विरोध मे खडा है और किसी सुरक्षितस् थान पर पहुँचने के लिए प्रतिष्ठा, सम्मान, शक्ति व आराम के लिए निरंतर संघर्ष कर रहा है।
उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति जे० कृष्णमूर्ति द्वारा रचित शिक्षा पाठ से ली गई है। लेखक इस पंक्ति के माध्यम से यह बताना चाहते है कि हर कोई अपने सुख के लिए दूसरे का विरोध कर रहा है। यह विरोध भी कई चीजो के लिए है, जैसे किसी सुरक्षितस् थान पर पहुँचने के लिए जिससे हमारे सभी भय दूर हो जाए अथवा प्रतिष्ठा, सम्मान, शक्ति तथा आराम पाने के लिए। इन सबके लिए मनुष्य लगातार संघर्ष कर रहा है।
7. नूतन विश्व का निर्माण कैसे हो सकता है?
उत्तर- समाज मे चारो ओर भय फैला हुआ है। लोग एक-दूसरे के प्रति ईर्ष्या-द्वेष से भरे हुए है। विश्व के सभी देश पतन की ओर अग्रसर है। इसे रोकना मानव समाज के लिए चुनौती है। हमे स्वतंत्रतापूर्ण वातावरण तैयार करना होगा जिसमे व्यक्ति अपने लिए सत्य की खोज कर सके तथा मेधावी बन सके। सत्य की खोज वही कर सकते है जो निरंतर विद्रोह की अब था मे हो। स्वतंत्रतापूर्ण जीवन जिएंगे तो निसंदेह ही नूतन विश्व का निर्माण होगा ।
8. क्रांति करना, सीखना और प्रेम करना तीनो पृथक-पृथक प्रक्रियाएँ नहीं है, कैसे ?
उत्तर- क्रांति करना, सीखना और प्रेम करना तीनो पृथक-पृथक प्रक्रियाएँ नही है क्योकि इन तीनो मे ही मनुष्य को विरोध की भावना को अपनाना पडता है। उसे अपनी महत्वाकांक्षाओ का दमन करना पडता है और निजी स्वार्थ से ऊपर उठना पडता है।
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चैनल Science Sangrah By- Anu Sir (Science Sangrah YouTube Channel)