12th Class Hindi कड़बक पाठ का प्रश्न उत्तर (By- Anu Sir)

      12th Class Hindi कड़बक पाठ का प्रश्न उत्तर 


1. कवि ने अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से क्यों की है ?

उत्तर- हम जानते है कि दर्पण स्वच्छ और निर्मल होता है, ठीक उसी प्रकार कवि की आँख है। कोई भी व्यक्ति अपनी छवि जिस प्रकार साफ एवं स्पस्ट रूप से दर्पण में देख पाता है, ठीक उसी प्रकार कवि की आँख भी स्वच्छता और पारदर्शिता का प्रतीक है। अतः कवि ने अपनी एक आख की तुलना दर्पण से की है।


2. पहले कड़बक में कलंक, काँच और कंचन से क्या तात्पर्य है ?


उत्तर- कवि ने कलंक, कांच और कंचन शब्दों का उपयोग करके अपने विचारो को प्रकट किया है।

कलंक शब्द की चर्चा करते हुए लेखक यह कहते है कि चंद्रमा में दाग होते हुए भी वो संसार को रौशनी देता है, अर्थात उस रौशनी के आगे वो काला धब्बा (दाग) का कोई मोल नही रहा। अतः गुणवान में अगर कुछ अवगुण भी हो तो उसके गुण के आगे वो अवगुण भी छिप जाता है।
काँच शब्द का प्रयोग करते हुए लेखक कहते है कि जिस प्रकार कच्चा सोना को गला कर, तपा कर असली सोना में बदला जाता है, उसी प्रकार इन्सान को बिना संघर्ष, तपस्या और त्याग के श्रेष्ठता और सफलता नही मिल सकती ।

कंचन शब्द का प्रयोग करते हुए लेखक यह कहते है कि जैसे शंकर के त्रिशूल द्वारा नष्ट किये जाने पर सुमेरू पर्वत सोने का हो गया वैसे ही सज्जनों की संगती से दुर्जन भी श्रेष्ठमान बन जाता है।


3. पहले कड़बक में व्यंजित जायसी के आत्मविश्वास का परिचय अपने शब्दों में दे।


उत्तर- पहले कड़बक में कवि अपने आत्मविश्वास को दर्शाया है। कवि का एक ही आँख है।
वो चेचक के कारण रूपहीन है लेकिन रूप का और एक आँख के न होने से इन्सान का महत्व कम नही हो जाता। कहि ढ़ आत्मविश्वास के साथ कहते है कि दाग तो चंद्रमा में भी है, फिर भी वो सारा जग को प्रकाशित करता है। त्रिशूल तो सुमेरू पर्वत को लगे थे, फिर भी वह सोने का हो गया, पानी तो समुद्र का खारा होता है फिर भी वो असूझ और अपार है । अतः ऐसा नही है कुछ अवगुण के होने से सारे गुण खत्म हो जाते है। कवि का यह आत्मविश्वास जनमानस के लिए नयी चेतना है।


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4. कवि ने किस रूप में स्वयं को याद रखे जाने की इच्छा व्यक्त की है? उनकी इस इच्छा का मर्म बताएं ।


उत्तर- कवि कहते है कि यह जगत तो नश्वर है केवल कीर्तियाँ ही अमर रह जाती है। जिस प्रकार पुष्प अपने नश्वर शरीर त्याग कर देता है किन्तु उसकी सुगंध धरती पर व्याप्त रहती है, ठीक उसी प्रकार महान व्यक्ति भी इस धाम पर जन्म लेकर अपनी कीर्ति से ही अपना पहचान यहाँ छोड़ जाता है। अतः कवि भी अपनी कीर्ति से ही अपने को याद रखे जाने की इच्छा व्यक्त की है।





5. भाव स्पस्ट करे

 "जौ लहि अंबहि डाभ न होई। तौ लहि सुगंध बसाई न सोई ।।"


उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित कड़बक (1) से ली गई है। कवि इस पंक्ति के माध्यम से कहना चाहते है कि जिस प्रकार आम में सुगंध आने के लिए डाभ युक्त मंजरियों का निकलना जरूरी होता है उसी प्रकार बिना दोष के पुरुष में गरिमा नही आती ।


6. 'रकत के लेई' का क्या अर्थ है ?


उत्तर- कवि इस पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहते है कि वे अपने काव्य को रक्त की लेइ लगाकर जोड़ा है जो गाढ़ी प्रीति के नयनजल में भिंगोई हुई है। अर्थात इस काव्य को लेखक ने अपने कलेजे के खून से रचा है।

रकत कै लेइ - खून का गोंद


7. 'मुहमद यहि कबि जोरि सुनावा' यहाँ कवि ने 'जोरि' शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया है ?


उत्तर- कवि ने यहाँ जोरि शब्द का प्रयोग "जोड़कर के अर्थ में किया है। इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह बताना चाहते है कि वो इस कथा को जोडकर सुनाया है और जिसने भी इसे सुना है, उसे प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ है।


8. दुसरे कड़बक का भाव-सौन्दर्य स्पस्ट करे ।

उत्तर- दुसरे कड़बक में कवि अपने काव्य और उसकी कथासृष्टी के बारे में हमे बताते है। वे कहते है कि उन्होंने इसे रक्त की लेई लगाकर जोड़ा है जो गाढ़ी प्रीति के नयनजल में भिगोई हुई है। अब न वह राजा रत्नसेन है, न वह पद्मावती रानी है, न ही बुद्धिमान सुआ है और न ही राघवचेतन या अलाउद्दीन है।

इनमे आज कोई नही रहा किन्तु उनके यश के रूप में कहानी रह गई है। फुल झड़कर नष्ट हो जाता है पर उसकी खुशबु रह जाती है।

कवि यह कहना चाहता है कि एक दिन वह भी नही रहेगा पर उसकी कीर्ति सुगंध की तरह पीछे रह जाएगी।


9. व्याख्या करे-


"धनि सों पुरखु जस कीरति जासू। फुल मरै पै मरे न बासु ।"

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित कड़बक (2) से ली गई है। जिस प्रकार पुष्प अपने नश्वर शरीर त्याग कर देता है किन्तु उसकी सुगंध धरती पर व्याप्त रहती है. ठीक उसी प्रकार महान व्यक्ति भी इस धाम पर जन्म लेकर अपनी कीर्ति से ही अपना पहचान यहाँ छोड़ जाता है।






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