11.हँसते हुए मेरा अकेलापन (लेखक: मलयज)
- जन्म तिथि: 1935
- निधन: 26 अप्रैल 1982
- जन्मस्थान: महुई, आजमगढ़, उत्तरप्रदेश
- मूल नाम: भरतजी श्रीवास्तव
- पिता: त्रिलोकी नाथ वर्मा
- माता: प्रभावती
- शिक्षा: एम.ए. (अंग्रेजी), इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्तरप्रदेश
विशेषताएँ:
- स्वास्थ्य: छात्र जीवन में क्षयरोग से ग्रसित रहे। ऑपरेशन में एक फेफड़ा निकालना पड़ा, जिससे शेष जीवन दुर्बल स्वास्थ्य और दवाओं के सहारे बिताया।
- स्वभाव: अंतमुर्खी, गंभीर, एकांतप्रिय और मितभाषी।
- सम्पर्क: शमशेर बहादुर सिंह और विजयदेव नारायण साही से विशेष सम्पर्क।
- डायरी लेखन: 16 वर्ष की आयु से डायरी लेखन शुरू किया और जीवन के अंतिम समय तक डायरी लिखते रहे।
- वृत्ति: कुछ दिनों तक के.पी. कॉलेज, इलाहाबाद में प्राध्यापन। 1964 में कृषि मंत्रालय, भारत सरकार की अंग्रेजी पत्रिकाओं के संपादकीय विभाग में नौकरी।
प्रमुख रचनाएँ:
- कविताएँ: "जख्म पर धूल" (1971), "अपने होने को अप्रकाशित करता हुआ" (1980)
- आलोचना: "कविता से साक्षात्कार" (1979), "संवाद और एकालाप" (1984), "रामचंद्र शुक्ल" (1987)
- सर्जनात्मक गद्य: "हँसते हुए मेरा अकेलापन" (1982)
- डायरी: तीन खंड (संपादक: नामवर सिंह)
मलयज का साहित्यिक योगदान:
मलयज की डायरी "हँसते हुए मेरा अकेलापन" में उनके निजी जीवन की घटनाओं और उस समय की सामाजिक उथल-पुथल का वर्णन किया गया है। वे एक आधुनिक कवि और आलोचक थे जिनकी रचनाएँ साहित्य जगत में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
11.हँसते हुए मेरा अकेलापन Anu sir Hindi pdf |
पाठक प्रश्न उत्तर:
डायरी क्या है?
- उत्तर: डायरी किसी साहित्यकार या व्यक्ति द्वारा लिखित उसके महत्वपूर्ण दैनिक अनुभवों का ब्यौरा है जिसे वह बड़ी सच्चाई के साथ लिखता है।
डायरी का लिखा जाना क्यों मुश्किल है?
- उत्तर: डायरी का लिखा जाना इसलिए मुश्किल है क्योंकि इसमें सभी बातों की पूरी सच्चाई के साथ लिखना पड़ता है। इसमें सभी घटनाओं को सही-सही रूप में वर्णित करना होता है। साथ ही साथ डायरी में शब्दों और अर्थों में उदासीनता कम रहती है।
किस तारीख की डायरी आपको सबसे प्रभावशाली लगी और क्यों?
- उत्तर: हमें तो 25 जुलाई 1980 की डायरी सबसे प्रभावी लगी क्योंकि इस अंश में लेखक ने अपनी कुछ कमियों को खुशीपूर्वक स्वीकार किया है। लेखक ने अपने अंदर के डर को बताया है। अथवा 30 अगस्त 1976 की डायरी भी प्रभावी है क्योंकि उसमें लेखक एक सात-आठ साल की लड़की द्वारा सेब बेचने की स्थिति का वर्णन किया है जो कि भावनात्मक है।
डायरी के इन अंशों में मलयज की गहरी संवेदना घुली है। इसे प्रमाणित करें।
- उत्तर: डायरी के इन अंशों में मलयज की गहरी संवेदना घुली हुई है। लेखक पाठ के शुरू में ही हरे-भरे पेड़ों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता है। वह प्रकृति के प्रति भी गहरी संवेदना प्रकट करता है। इसीलिए खेतों की फसलों की तुलना व्यक्ति से करता है। लेखक इतना संवेदनशील व्यक्ति है कि जब उनकी चिट्ठी नहीं आती है तो वह बहुत दुखी हो जाता है। जब वह किसी से मिलता है तो उसे अपनत्व की भावना घेर लेती है। जब वह छोटी-सी उम्र की एक लड़की को सेब बेचते हुए देखता है तो उसे पीड़ा का अनुभव होता है। इतना ही नहीं लेखक अपने अंदर के डर को भी व्यक्त करता है।
व्याख्या करें:
(क) आदमी यथार्थ को जीता ही नहीं, यथार्थ को रचता भी है।
- उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति मलयज द्वारा रचित पाठ "हँसते हुए मेरा अकेलापन" से लिया गया है। लेखक इस पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहते हैं कि मनुष्य केवल यथार्थ को जीता ही नहीं है बल्कि उसे रचता भी है। अर्थात हमें अपने आसपास के संसार की रचना स्वयं ही करनी पड़ती है।
(ख) इस संसार से संपृक्ति एक रचनात्मक कर्म है। इस कर्म के बिना मानवीयता अधूरी है।
- उत्तर: मनुष्य का संसार से जुड़ाव एक रचनात्मक कार्य है। इसी जुड़ाव के कारण मनुष्य नई-नई रचनाएँ करता है। इस कर्म के बिना मानवीयता अधूरी है। अर्थात मनुष्य संसार से जुड़ाव के कारण रचनात्मक कार्य करता है और उसमें मानवीयता का भाव जागृत होता है।
'धरती का क्षण' से क्या आशय है?
- उत्तर: 'धरती का क्षण' से लेखक का आशय है कि जिस क्षण शब्द और अर्थ मिलकर रचना का रूप ग्रहण करते हैं। यह क्रिया धरातल पर ही होती है कहीं अंतरिक्ष में नहीं।
रचे हुए यथार्थ और भोगे हुए यथार्थ में क्या संबंध है?
- उत्तर: भोगा हुआ यथार्थ एक दिया हुआ यथार्थ है। हर आदमी अपना-अपना यथार्थ रचता है और उस रचे हुए हुए यथार्थ का एक हिस्सा दूसरों को दे देता है। हर आदमी उस संसार को रचता है जिसमें वह जीता है और भोगता है। रचने और भोगने का रिश्ता एक द्वंद्वात्मक रिश्ता है। एक के होने से ही दूसरे का होना है। दोनों की जड़ें एक-दूसरे में हैं और वहीं से वे अपना पोषण रस खींचते हैं। दोनों एक-दूसरे को बनाते तथा मिटाते हैं।
लेखक के अनुसार सुरक्षा कहाँ है और वह डायरी को किस रूप में देखना चाहता है?
- उत्तर: लेखक के अनुसार सुरक्षा सूरज की रोशनी में है। सुरक्षा चुनौती को झेलने में है, लड़ने में, पिसने में और खटने में है। वह डायरी अपने सभी अनुभवों के रूप में देखना चाहता है। वह चाहता है कि उसके सभी अनुभव डायरी में व्यक्त हो सकें। इसीलिए कभी-कभी वह कविता के मूड में डायरी लिखता है।
डायरी के इन अंशों से लेखक के जिस 'मूड' का अनुभव आपको होता है, उसका परिचय अपने शब्दों में दीजिए।
- उत्तर: डायरी के इन अंशों से पता चलता है कि लेखक का 'मूड' अपने से संबंधित सच्चाइयों को उजागर करने का है। वह बड़े ही सामान्य मूड में सभी क्रियाकलापों का वर्णन करता है।
अर्थ स्पष्ट करें:
- एक कलाकार के लिए यह निहायत जरूरी है कि उसमें 'आग' हो और वह खुद 'ठंडा' हो।
- उत्तर: लेखक का कहना है कि एक कलाकार के लिए बहुत जरूरी है कि उसमें 'आग' हो अर्थात वह अपने कर्म के प्रति पूर्णतः संवेदनशील हो, चाहे उसका व्यक्तित्व ठंडा ही हो।
- एक कलाकार के लिए यह निहायत जरूरी है कि उसमें 'आग' हो और वह खुद 'ठंडा' हो।
चित्रकारी की किताब में लेखक ने कौन सा रंग सिद्धांत पढ़ा था?
- उत्तर: चित्रकारी की किताब में लेखक ने यह रंग सिद्धांत पढ़ा था कि शोख और भड़कीले रंग संवेदनाओं को बड़ी तेजी से उभारते हैं, उन्हें बड़ी तेजी से चरम बिंदु की ओर ले जाते हैं और उतनी ही तेजी से उन्हें ढाल की ओर खींचते हैं।
11 जून 78 की डायरी से शब्द और अर्थ के संबंध पर क्या प्रकाश पड़ता है? अपने शब्दों में लिखें।
- उत्तर: 11 जून 78 की डायरी से शब्द और अर्थ के संबंध में पता चलता है कि शब्द और अर्थ के बीच तह कम रहती है। जब लेखन किया जाता है तो शब्द अर्थ में और अर्थ शब्द में ढलते चले जाते हैं। शब्द और अर्थ का संगम ही धरती का क्षण होता है।
रचना और दस्तावेज में क्या फर्क है? लेखक दस्तावेज को रचना के लिए कैसे जरूरी बताता है?
- उत्तर: लेखक रचना और दस्तावेज के फर्क को स्पष्ट करते हुए कहता है कि मैं जो कुछ लिखता हूँ वह सबका सब रचना नहीं होती। मैं जो कुछ भोगता हूँ उनमें सबमें रचना के बीज नहीं होते। भोगे हुए अनुभव के जो अंश लेखक के साथ चलते हैं, वही रचना है। शेष सिर्फ दस्तावेज है। लेकिन यह दस्तावेज रचना के लिए जरूरी है, क्योंकि दस्तावेज रचना का कच्चा माल है। यही रचना को पैदा करने वाली उपजाऊ मिट्टी है।
लेखक अपने किस डर की बात करता है? इस डर की खासियत क्या है? अपने शब्दों में लिखिए।
- उत्तर: लेखक डर को अपने जीवन का केंद्रीय अनुभव बताता है। उसे बुरी-बुरी बीमारियों का डर या घर के किसी सदस्य के देर तक वापस न आने से उत्पन्न आशंकाओं का डर सताता रहता है। इस डर की खासियत यह है कि इसके कारण लेखक घंटों तनाव में गुजार देता है। उसका हृदय बहुत तेज धड़कने लगता है और मुख से प्रार्थनाएँ निकलने लगती हैं। ऐसा उसके मन में आने वाली तरह-तरह की अप्रिय कल्पनाओं के कारण होता है।
Science sangrah डाउनलोड लिंक:
आप इस लेख का PDF संस्करण डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
हँसते हुए मेरा अकेलापन - मलयज (PDF)
इस पोस्ट को साझा करें और अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएं। यदि आपको यह लेख पसंद आया हो तो कृपया कमेंट करके अपने विचार साझा करें। अधिक साहित्यिक सामग्री के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब करें।
By: Monu Sir & Anu Sir