10. जूठन (Subjective questions and answers)

 


10. जूठन (Subjective questions and answers)








लेखक ओमप्रकाश वाल्मीकि

जन्म एवं शिक्षा 

  • जन्म-30 जून 1950
  • जन्मस्थान- बरला, मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश
  • मृत्यु- 17 नवम्बर 2013
  • माता- मकुंदी देवी
  • पिता- छोटनलाल


  • शिक्षा- अक्षरज्ञान का प्रारंभ मास्टर सेवक राम मसीही के खुले, बिना कमरे, बिना टाट-चटाईवाले स्कूल से ।

  • उसके बाद बेसिक प्राइमरी स्कूल में दाखिला। 11वी की परीक्षा बरला इंटर कालेज, बरला से उत्तीर्ण। लेकिन

  • 12वी की परीक्षा में अनुत्तीर्ण। फलस्वरूप बरला कालेज छोडकर डी०ए०वी० इंटर कालेज, देहरादून मे दाखिला ।

  • कई वर्षों तक पढाई बाधित। 1992 मे हेमवंती नंदन बहुगुणा, गढवाल, श्रीनगर विश्वविद्यालय से हिंदी मे एम०ए० ।


वृत्ति- 12वी कक्षा मे ही आर्डिनेंस फैट्री, देहरादून मे अप्रेंटिस की नौकरी। फिर आर्डिनेंस फैट्री, चाँदा (चंद्रपुर, महाराष्ट्र) मे ड्राफ्टमैन की नौकरी। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के उत्पादन विभाग के अधीन आर्डिनेंस फैक्ट्री की आप्टो- इलेक्ट्रोनिक्स फैक्टरी, देहरादून मे अधिकारी ।

सम्मान- डा० अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार (1993), परिवेश सम्मान (1995), जयश्री सम्मान (1996), कथाक्रम सम्मान (2000), न्यू इंडिया बुक पुरस्कार (2004)

कृतियाँ - जूठन (आत्मकथा); सलाम, घुसपैठिए (कहानी संग्रह); सदियो का संताप, बस्स! बहुत हो चुका, अब और नही (कविता संकलन); दलित साहित्य का सौंदर्यशास्त्र (आलोचना)

> महाराष्ट्र मे 'मेघदूत' नाम की नाट्यसंथा स्थापित की ।


पाठ का प्रश्न और उत्तर

1. विद्यालय मे लेखक के साथ कैसी घटनाएँ घटती है ?


उत्तर- विद्यालय मे लेखक के साथ बडी अप्रिय घटनाएँ घटती है। विद्यालय के हेडमास्टर लेखक से कमरे, बरामदे और मैदान मे झाडू लगवाते है। जब लेखक दो दिन बाद कक्षा मे बैठ जाता है तब हेडमास्टर लेखक को कक्षा से बाहर निकाल देते है और फिर वही झाडू लगाने वाला काम दे देते है। इस तरह लेखक को प्रताडित किया जाता है।


2. पिताजी ने स्कूल में क्या देखा? उन्होने आगे क्या किया ? पूरा विवरण अपने शब्दो मे लिखे ।


उत्तर- पिताजी ने स्कूल मे अपने बेटे अर्थात लेखक को झाडू लगाते देखा। पिताजी को देखकर लेखक को रोना आ गया। पिताजी ने सारा कारण को समझा और फिर झाडू छीनकर दूर फेक दिया। इसके बाद वे चिल्लाने लगे कि वो कौन सा मास्टर है जो मेरे लडके से झाडू लगवाता है? फिर जब हेडमास्टर ने गाली देकर उन्हे धमकाया तो उन्होने हेडमास्टर का जमकर सामना किया ।


3. बचपन मे लेखक के साथ जो कुछ हुआ, आप कल्पना करे कि आपके साथ भी हुआ हो ऐसी थति मे आप अपने अनुभव और प्रतिक्रिया को अपनी भाषा मे लिखिए ।


उत्तर- बचपन मे लेखक के साथ जो कुछ भी हुआ, वो अच्छा नही हुआ। अगर वही घटना हमारे साथ होता तो हमे भी बहुत बुरा तथा अपनमानजनक लगता। ऐसा व्यवहार करने वाले व्यक्ति पर बहुत क्रोध आएगा । उनके द्वारा किये गए इस व्यवहार का कारण भी जानेंगे। हम उनकी शिकायत भी करते तथा साथ ही साथ प्रयास करते कि ऐसा घटना दूसरे के साथ न हो।


4. किन बातो को सोचकर लेखक के भीतर कॉटे जैसे उगने लगते है?


उत्तर- लेखक जब छोटे थे तो उसके परिवार के सभी लोग दूसरे लोगो के घरो मे काम करते थे। वे लोग बहुत मेहनत करते थे लेकिन दूर्भाग्य था कि उस काम के बदले उन्हे थोडा बहुत अनाज या जूठन मिलती थी। शादी-ब्याह के मौको पर भी उन्हे मेहमानो के खाना खा लेने के बाद जूठी पत्तलो मे बची जूठन ही मिलती थी। कभी-कभी तो पूरियो के टुकडो को वे सुखा लेते थे और बरसात के दिनो मे पानी में उबालकर नमक-मिर्च छिडककर खाते थे। इन्ही सब बातो के बारे मे सोचकर लेखक के भीतर काँटे उगने लगते है।


5. "दिन रात मर खप कर भी हमारे पसीने की कीमत मात्र जूठन, फिर भी किसी को शिकायत नहीं। कोई शर्मिंदगी नहीं, कोई पश्चाताप नहीं।" ऐसा क्यो? सोचिए और उत्तर दीजिए ।


उत्तर- "दिन रात मर खप कर भी हमारे पसीने की कीमत मात्र जूठन, फिर भी किसी को शिकायत नही । कोई शर्मिंदगी नही, कोई पश्चाताप नही।" ऐसा इसलिए था क्योकि उस समय इस वर्ग के लोगो के लिए इस प्रकार के काम निर्धारित किए गए थे। उच्च वर्ग के लोग उन्हे अपने पैरो तले रखते थे। फिर उन्होने भी इसे अपना भाग्य मान लिया था। इसी कारण वे किसी भी बात का विरोध नहीं करते थे।


6. सुरेंद्र की बातो को सुनकर लेखक विचलित क्यो हो जाते है ? 


उत्तर- सुरेंद्र की बातो को सुनकर लेखक इसलिए विचलित हो जाते है क्योकि उसे बचपन की एक घटना याद आ जाती है। जब सुरेंद्र की बडी बुआ की शादी थी तो लेखक की माँ और पिताजी ने उनके घर मे खूब मेहनत से काम किया था। फिर जब काम समाप्त होने के बाद लेखक की माँ ने खाना माँगा तो सुरेंद्र के दादा सुखदेव सिंह त्यागी ने उनकी बडी बेइज्जती की थी। समय का खेल देखिए कि आज उसी का पोता उनके द्वारा खिलाए गए भोजन की तारीफ कर रहा था। 


7. घर पहुँचने पर लेखक को देख उनकी माँ क्यो रो पडती है ?


उत्तर- क्योकि माँ नही चाहती थी कि उनका बेटा अर्थात लेखक चमडा उतारने जैसा घिनौना काम करे लेकिन घर मे किसी और के न होने के कारण मजबूरी में उन्हे लेखक को भेजना पडता है। जब वह वापस आया तो सिर से लेकर पाँव तक गंदगी से भरा हुआ था। उसके कपडो पर खून के धब्बे लगे हुए थे जिन्हे देखकर उसकी माँ रो पडी ।


8. व्याख्या करे- 'कितने क्रूर समाज मे रहे है हम, जहाँ श्रम का कोई मोल ही नहीं बल्कि निर्धनता को बरकरार रखने का षड्यंत्र ही था यह सब ।'


उत्तर- प्रस्तुत पंक्ति ओमप्रकाश वाल्मिकी द्वारा रचित आत्मकथा 'जूठन' से ली गई है। लेखक इस पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहते है कि यह समाज लेखक की जाति के लोगो से बहुत ही कठोर व्यवहार करता था। इन लोगो से काम बहुत लिया जाता था और मेहनताने की जगह मात्र गालियाँ ही मिलती थी । यह समाज अत्यंत क्रूर था जिसमे मेहनत की कोई कीमत न थी। बल्कि ऐसा करके गरीबी को बनाए रखने का षड्यंत्र किया जा रहा था।


9. लेखक की भाभी क्या कहती है? उसके कथन का महत्व बताइए ।


उत्तर- जब लेखक मरे हुए पशु का चमडा सिर पर उठाए, खून से लथपथ घर पहुँचता है तो उसकी भाभी उसकी माँ से कहती है कि इनसे ये न कराओ... भूखे रह लेंगे... इन्हे इस गंदगी में ना घसीटो। लेखक के भविष्य में होने वाले परिवर्तन का कारण भाभी का कथन ही है। यह कथन अंधेरे मे रौशनी बनकर चमकते है।



⇒Download PDF 


Download objective questions answers pdf 


आपका अपना YouTube चैनल " Science Sangrah"


By- Monu Sir & Anu Sir